भारत-ब्रिटेन एफटीए: स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क रियायत से भारतीय बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा
निहारिका मनीषा
- 07 May 2025, 11:11 AM
- Updated: 11:11 AM
नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) भारत और ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत स्कॉच व्हिस्की को दी गई आयात शुल्क रियायतों से घरेलू बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह कटौती 10 साल की अवधि में धीरे-धीरे लागू की जाएगी। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
समझौते के तहत भारत, ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा तथा समझौते के 10वें वर्ष में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ स्कॉच व्हिस्की के आयात में वृद्धि से घरेलू बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। आयात पर शुल्क में कटौती लंबी अवधि (10 वर्ष) के लिए की गई है और इसके बाद भी इस पर काफी सीमा शुल्क (40 प्रतिशत) लगेगा।’’
स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) के अनुसार, भारत ने मात्रा के हिसाब से दुनिया के नंबर एक स्कॉच व्हिस्की निर्यात बाजार के रूप में फ्रांस से अपना स्थान पुनः प्राप्त कर लिया है। वहां 2024 में 19.2 करोड़ बोतलों का निर्यात किया गया जबकि 2023 में 16.7 करोड़ बोतलों का निर्यात किया गया था।
भारत का मादक पेय बाजार एक बड़ा तथा तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है। यह वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा और ‘स्पिरिट्स’ के लिए दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। अनुमान है कि यह बाजार 52.4 अरब अमेरिकी डॉलर का है, जिसकी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के 2025 से 2032 तक 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
भारतीय व्हिस्की बाजार की बात करें तो इसमें देशी शराब (88 प्रतिशत) और भारत में बनी विदेशी शराब (9.5 प्रतिशत) का दबदबा है।
स्कॉच व्हिस्की, कुल व्हिस्की बाजार का केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सा है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ ब्रिटेन से स्कॉच व्हिस्की के आयात पर शुल्क में कटौती लंबी अवधि के लिए की गई है और उसके बाद भी इस पर काफी सीमा शुल्क लगेगा। इसलिए स्कॉच व्हिस्की के आयात में वृद्धि से घरेलू बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।’’
अधिकारी ने कहा कि आयातित शराब पर उच्च शुल्क से शराब उद्योग में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का स्तर प्रभावित हुआ है।
इस सौदे पर टिप्पणी करते हुए भारतीय अल्कोहल पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने कहा, ‘‘ हमें डर है कि यदि यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य देशों जो ‘स्पिरिट’ और वाइन का उत्पादन करते हैं.... उनके साथ व्यापार सौदों के लिए शुल्क में कटौती का यही तरीका अपनाया गया तो वाइन क्षेत्र सहित भारतीय ‘अल्कोबेव’ उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।’’
उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि वह महाराष्ट्र, केरल, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे विभिन्न राज्य जो आयातित शराब पर उत्पाद शुल्क में रियायत देते हैं, उन्हें इन रियायतों की समीक्षा करने की सलाह दे।
अय्यर ने कहा, ‘‘ सरकार 2030 तक भारतीय मादक पेय पदार्थों से एक अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात करने की उम्मीद कर रही है। हालांकि, उचित बाजार पहुंच सुनिश्चित किए बिना (खासकर ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया में) इस निर्यात लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा।’’
भाषा निहारिका