लोकसभा ने शोर-शराबे के बीच वाणिज्य पोत परिहन विधेयक को मंजूरी दी
वैभव मनीषा
- 06 Aug 2025, 05:03 PM
- Updated: 05:03 PM
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) लोकसभा ने बुधवार को वाणिज्यिक जलपोतों के स्वामित्व की पात्रता मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अवसरों का विस्तार करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया।
लोकसभा ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही ‘वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2024’ (मर्चेंट शिपिंग बिल) को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। इससे पहले विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए प्रस्तुत किया।
विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कैप्टन ब्रजेश चौटा और मुकेश दलाल ने भाग लिया।
चर्चा पर सोनोवाल के जवाब के बाद सदन ने विपक्ष के कुछ सांसदों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
विधेयक पारित होते ही पीठासीन सभापति संध्या राय ने विपक्ष के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
यह विधेयक केंद्र सरकार को भारत के भीतर या जलक्षेत्र में बिना राष्ट्रीयता वाले जहाजों को अपने नियंत्रण में लेने का अधिकार देता है, यदि ऐसा जहाज कानूनी रूप से किसी देश का झंडा लगाने का हकदार नहीं है या उसने ऐसा अधिकार खो दिया है।
यह विधेयक, वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 की जगह लेने के लिए लाया गया है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि हाल के वर्षों में वाणिज्य पोत परिवहन या मर्चेंट शिपिंग उद्योग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण परिवर्तन अनुभव किए गए हैं जिससे इस क्षेत्र को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसमें कहा गया कि इन चुनौतियों पर ध्यान देने तथा कारोबार में सुगमता बढ़ाने के लिए 1958 के कानून में सुधार आवश्यक हो गए हैं जिनमें प्रचालन दक्षता में सुधार, अनुपालन बोझ को कम करना, वैश्विक पोत परिवहन बाजार में भारत की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए भारतीय ध्वज के अधीन टन भार की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाना तथा समुद्री प्रदूषण रोकना आदि शामिल हैं।
विधेयक के उद्देश्यों के अनुसार, इन सभी के मद्देनजर वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 का निरसन करना और उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एक सम-सामयिक, भविष्योन्मुखी तथा गतिशील कानून अर्थात वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2024 को लाना आवश्यक हो गया है।
उक्त विधेयक में समुद्री दुर्घटनाओं की जांच और तटीय व्यापार में लगे जहाजों की सुरक्षा आदि का प्रस्ताव और भारतीय ध्वज के अधीन टन भार में वृद्धि करना शामिल है।
भाषा वैभव