सिद्धरमैया ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर रोहित वेमुला अधिनियम के संबंध में जानकारी दी
देवेंद्र वैभव
- 19 Apr 2025, 11:09 PM
- Updated: 11:09 PM
बेंगलुरु, 19 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर सूचित किया कि उन्होंने अपने कानूनी सलाहकार और टीम को रोहित वेमुला अधिनियम का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि यह कानून शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव को रोकने में मददगार होगा।
शिक्षा प्रणाली में जाति आधारित भेदभाव रोकने के वास्ते कानून बनाने के राहुल गांधी के आह्वान के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को राज्य में रोहित वेमुला अधिनियम बनाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया था।
सिद्धरमैया ने कांग्रेस नेता को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘‘16 अप्रैल 2025 को लिखे आपके पत्र में डॉ. बी.आर. आंबेडकर के साथ घटी घटना का जिक्र है, जैसा कि उन्होंने बताया, यह आज भी एक दुखद सच्चाई है।’’
उन्होंने आश्वासन दिया कि वह और उनकी सरकार समतावादी समाज सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हमारी शिक्षा प्रणाली में शोषित वर्गों को किसी भी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने कानूनी सलाहकार और टीम को रोहित वेमुला अधिनियम का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया है, जो शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य करेगा।’’
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सिद्धरमैया को लिखे अपने पत्र में आंबेडकर के जीवनकाल में उनके साथ हुए भेदभाव को उजागर किया था और कहा था कि सिद्धरमैया इस बात से सहमत होंगे कि भारत के किसी भी व्यक्ति को जातिवाद का वो दंश न झेलना पड़े, जो बाबासाहेब आंबेडकर ने झेला था।’’
गांधी ने कहा था, ‘‘यह शर्म की बात है कि आज भी दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के लाखों छात्रों को हमारी शिक्षा प्रणाली में इस तरह के क्रूर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।’’
गांधी ने अपने पत्र में कहा था, ‘‘इसी भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्र-छात्राओं की जान ले ली। इस पर सख्ती से रोक लगाने का समय आ गया है। मैं कर्नाटक सरकार से रोहित वेमुला अधिनियम लाने का आग्रह करता हूं, ताकि भारत के किसी भी बच्चे को वह सब न सहना पड़े, जो डॉ. बी.आर. आंबेडकर, रोहित वेमुला और लाखों अन्य लोगों को सहना पड़ा।’’
दलित छात्र रोहित वेमुला ने 2016 में कथित जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी।
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