पूर्व राष्ट्रीय निशानेबाजी कोच सनी थॉमस का निधन
पंत मोना
- 30 Apr 2025, 04:26 PM
- Updated: 04:26 PM
कोच्चि, 30 अप्रैल (भाषा) भारत को निशानेबाजी में ओलंपिक सहित प्रमुख प्रतियोगिताओं में पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व राष्ट्रीय कोच सनी थॉमस का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
वह 84 वर्ष के थे और उन्होंने कोट्टायम में अपनी अंतिम सांस ली। थॉमस के परिवार में उनकी पत्नी केजे जोसम्मा, बेटे मनोज सनी, सानिल सनी और बेटी सोनिया सनी हैं।
इस पूर्व निशानेबाज ने 1993 से 2012 तक भारतीय निशानेबाजों का मार्गदर्शन किया। वह खेल के इतिहास में कई महत्वपूर्ण अवसरों के प्रत्यक्ष गवाह रहे थे।
उन्हें 2001 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 2004 में एथेंस ओलंपिक के दौरान कोचिंग स्टाफ का हिस्सा थे, जहां राज्यवर्धन सिंह राठौड़ पुरुषों की डबल ट्रैप में रजत के साथ निशानेबाजी में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे।
भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष कलिकेश नारायण सिंह देव ने थॉमस के निधन पर शोक व्यक्त किया।
देव ने कहा, ‘‘ उनके निधन से भारतीय निशानेबाजी में बहुत बड़ा शून्य पैदा हो गया है जिसे भरना बहुत मुश्किल होगा। प्रोफेसर थॉमस निशानेबाजी में एक संस्थान थे और हमारे खेल में उनके निस्वार्थ योगदान के बिना भारत आज निशानेबाजी की शक्ति नहीं बन पाता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पूरा निशानेबाजी समुदाय शोक में है और मैं एनआरएआई में सभी की तरफ से उनके प्रियजनों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं।’’
थॉमस के करियर का चरम बिंदु बीजिंग ओलंपिक 2008 में तब आया जब अभिनव बिंद्रा पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।
बिंद्रा ने थॉमस को हमेशा बहुत सम्मान दिया। उन्होंने इस निशानेबाजी कोच को पिता तुल्य बताया।
बिंद्रा ने अपने एक्स हैंडल में लिखा, ‘‘प्रोफेसर सनी थॉमस के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ। वह एक कोच से कहीं बढ़कर थे। वह भारतीय निशानेबाजों की कई पीढ़ियों के लिए एक गुरु, मार्गदर्शक और पिता तुल्य थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खेल के प्रति उनके समर्पण ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी में भारत को नई पहचान दिलाई। उन्होंने मेरे शुरुआती वर्षों में बड़ी भूमिका निभाई और मैं उनके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए हमेशा आभारी रहूंगा। आपकी आत्मा को शांति मिले। सर। आपका प्रभाव चिरस्थायी है।’’
थॉमस के कोच रहते हुए राठौड़ और बिंद्रा के अलावा जिन प्रमुख भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई उनमें 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक विजेता विजय कुमार, जसपाल राणा, समरेश जंग और लंदन खेलों में कांस्य पदक विजेता गगन नारंग शामिल हैं।
थॉमस ने केरल के कोट्टायम के उझावूर सेंट स्टीफंस कॉलेज में अंग्रेजी के लेक्चरर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्हें हालांकि शुरू से ही निशानेबाजी पसंद थी और वह 1970 के दशक में राष्ट्रीय और राज्य चैंपियन रहे थे।
भाषा
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