सरकार ने गन्ने का लाभकारी मूल्य 4.41 प्रतिशत बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल किया
पाण्डेय रमण
- 30 Apr 2025, 05:29 PM
- Updated: 05:29 PM
नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) सरकार ने बुधवार को अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी 2025-26 सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 4.41 प्रतिशत बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया।
गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस बारे में फैसला किया गया।
चालू 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी 340 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
केंद्र सरकार एफआरपी तय करती है, जो अनिवार्य न्यूनतम मूल्य है। चीनी मिलें गन्ना किसानों को उनकी उपज के लिए यह मूल्य देने को कानूनी रूप से बाध्य हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सीसीईए की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि मूल वसूली दर यानी प्रसंस्करण के दौरान गन्ने से प्राप्त चीनी 10.25 प्रतिशत रहने पर 355 रुपये प्रति क्विंटल का एफआरपी स्वीकृत किया गया है।
बयान में कहा गया कि गन्ने से चीनी प्राप्ति 10.25 प्रतिशत से अधिक होने पर प्रत्येक 0.1 प्रतिशत वृद्धि के लिए किसानों को 3.46 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम दिया जाएगा।
इसी तरह दर कम होने पर प्रत्येक 0.1 प्रतिशत कमी के लिए एफआरपी में 3.46 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की जाएगी।
इस तरह 9.5 प्रतिशत की दर पर किसानों को 329.05 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। इससे कम चीनी प्राप्ति की दर होने पर आगे कोई कटौती नहीं की जाएगी और न्यूनतम 329.05 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान हर हाल में किसानों को किया जाएगा।
बयान के अनुसार चीनी सत्र 2025-26 के लिए गन्ने की उत्पादन लागत 173 रुपये प्रति क्विंटल है। ऐसे में 10.25 प्रतिशत चीनी प्राप्ति दर पर 2025-26 के लिए निर्धारित 355 रुपये प्रति क्विंटल का एफआरपी उत्पादन लागत से 105.2 प्रतिशत अधिक है।
चीनी एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित क्षेत्र है, जो लगभग पांच करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों तथा चीनी मिलों में सीधे तौर पर काम करने वाले लगभग पांच लाख श्रमिकों की आजीविका का इंतजाम करता है। इसके अलावा खेतिहर मजदूर और परिवहन सहित विभिन्न सहायक गतिविधियों में शामिल लोग इससे प्रभावित होते हैं।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों और राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों से परामर्श के आधार पर एफआरपी को तय किया गया है।
भाषा पाण्डेय