आईपीए को मंत्रालय से मान्यता मिलने पर पिकलबॉल में प्रशासनिक रस्साकशी
नमिता सुधीर
- 01 May 2025, 08:48 PM
- Updated: 08:48 PM
नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) भारत में अपने पैर जमाने की कोशिश में जुटा पिकलबॉल खेल प्रशासनिक रस्साकशी में फंस गया है चूंकि हाल ही में गठिन भारतीय पिकलबॉल संघ (आईपीए) को खेल मंत्रालय से मान्यता मिलने के बाद पुराने अखिल भारतीय पिकलबॉल संघ (एआईपीए) ने ऐतराज जताते हुए इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
आईपीए को मान्यता देने का फैसला 25 अप्रैल को लिया गया था जिससे उसे सरकार से वित्तीय अनुदान मिल सकेगा और वह देश में खेल के विकास के लिये स्वायत्त रूप से काम कर सकेगा ।
खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा ,‘‘ आईपीए को कुछ दिन पहले ही मान्यता दी गई है ।’’
हालांकि एआईपीए ने अधिवक्ता हेमंत फालफर के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने खेल मंत्रालय और आईपीए को नोटिस जारी किया जिसमें याचिकाकर्ता के वकील द्वारा व्यक्त की गई तात्कालिकता को देखते हुए उन्हें दो सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने कहा कि मंत्रालय को अपने जवाब में आईपीए को राष्ट्रीय खेल महासंघ के रूप में मान्यता देने के कारणों को बताना चाहिए।
इसने मंत्रालय से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि ‘‘क्या उसे (आईपीए को) राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुपालन से कोई छूट दी गई है। अगर हां तो इसके पीछे क्या कारण हैं। ’’
मामले की आगे सुनवाई की तारीख 19 मई दी गई है।
अमेरिका से जन्मा पिकलबॉल खेल टेनिस, टेबल टेनिस और बैडमिंटन का मिला जुला रूप है । यह एकल और युगल दोनों प्रारूपों में खेला जाता है ।
आईपीए अध्यक्ष सूर्यवीर सिंह भुल्लर ने इंस्टाग्राम पर लिखा ,‘‘ यह महत्वपूर्ण पल है लेकिन हम इसे शुरूआत के तौर पर देख रहे हैं । हमारा फोकस भविष्य पर है जिसमें प्रतिभाओं को तलाशना , कैरियर की संभावनायें बनाना और पिकलबॉल को लोकप्रिय बनाना शामिल है ।’’
एआईपीए ने हालांकि एक बयान जारी करके खेल मंत्रालय के फैसले पर सवाल उठाये ।
एआईपीए अध्यक्ष अरविंद प्रभु ने कहा ,‘‘ यह फैसला निराशाजनक ही नहीं है बल्कि खेल प्रशासन में निष्पक्षता और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है । खेलभावना के हित में हम मंत्रालय से इस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हैं ।’’
एआईपीए ने 2011 के राष्ट्रीय खेल कोड के एक प्रावधान का हवाला दिया, जिसके अनुसार किसी संस्था को राष्ट्रीय खेल महासंघ माने जाने के लिए उसे मान्यता के लिए आवेदन की तिथि से तीन वर्ष से अधिक समय तक सक्रिय रूप से अस्तित्व में रहना चाहिए।
आईपीए का रजिस्ट्रेशन पिछले साल नवंबर में हुआ है जबकि एआईपीए 2008 में रजिस्टर्ड हो चुका है ।
एआईपीए कोषाध्यक्ष निखिल मथारे ने पीटीआई से कहा ,‘‘ एआईपीए ने पिछले साल 18 अक्टूबर को सरकार के सामने अपना पक्ष रखा था लेकिन मंत्रालय ने चार महीने पुरानी कंपनी को मान्यता दे दी जिसका कोई ढांचा और जिला स्तर पर उपस्थिति भी नहीं है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ हमारे पास अब कानूनी कार्रवाई के अलावा कोई चारा नहीं बचा है । हम इससे पहले मंत्रालय से बात करेंगे ।’’
भाषा नमिता