पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ सरकार से कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर नक्सल विरोधी अभियान जारी रखने का किया आग्रह
संजीव नोमान
- 01 May 2025, 04:27 PM
- Updated: 04:27 PM
रायपुर, एक मई (भाषा) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि राज्य के बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा से पीड़ित लोगों ने बृहस्पतिवार को उनसे मुलाकात की और छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर चल रहे नक्सल विरोधी अभियान को जारी रखने का आग्रह किया।
माओवादी हिंसा के पीड़ितों ने मुख्यमंत्री साय से ऐसे समय में मुलाकात की है जब पड़ोसी राज्य तेलंगाना के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने इस अभियान को तत्काल रोकने तथा सरकार से नक्सलियों के साथ शांति वार्ता के लिए आगे आने की मांग की है।
साय ने संवाददाताओं को बताया, ''सुकमा, बीजापुर और कांकेर जिले से नक्सली हिंसा के पीड़ित यहां पहुंचे हैं जिनमें नक्सली घटनाओं में अपनी दृष्टि और अंग खो चुके लोग भी शामिल हैं। एक आवेदन में उन्होंने मुझसे छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर चल रहे नक्सल विरोधी अभियान को जारी रखने का आग्रह किया है।''
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां से लेकर दिल्ली तक कई संस्थाएं और कुछ लोग इस अभियान को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जो अभियान को रोकने और इसके पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वे नक्सलवाद का दंश झेल रहे लोगों का हालचाल जानने के लिए कभी भी उनके पास नहीं आए हैं।
साय ने कहा, ''पीड़ितों ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी रखने का अनुरोध किया है। इसी अनुरोध के साथ उन्होंने राज्यपाल से भी मुलाकात की है।''
छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा और दुर्गमगुट्टा की पहाड़ियों पर छुपे नक्सलियों का पता लगाने के लिए 'मिशन संकल्प' नामक नक्सल विरोधी अभियान बृहस्पतिवार को 11वें दिन भी जारी है।
अधिकारियों ने बताया कि बस्तर क्षेत्र में शुरू की गई सबसे बड़ी नक्सल विरोधी कार्रवाइयों में से एक इस अभियान में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), राज्य पुलिस की सभी इकाइयों, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) सहित विभिन्न इकाइयों के लगभग 24 हजार जवान शामिल हैं।
यह अभियान 21 अप्रैल को राजधानी रायपुर से 450 किलोमीटर दूर अंतरराज्यीय सीमा बीजापुर (छत्तीसगढ़) और मुलुगु तथा भद्रारी-कोठागुडेम (तेलंगाना) के दोनों ओर लगभग आठ सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले दुर्गम भूभाग और घने जंगल में शुरू किया गया।
अभियान के दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें दावा किया गया है कि सुरक्षा बलों के जवान कर्रेगुट्टा पहाड़ियों की चोटी पर भारतीय तिरंगा लहरा रहे हैं। इस पर टिप्पणी की गई कि कर्रेगुट्टा को पुनः अपने कब्जे में ले लिया गया है।
वीडियो के बारे में पूछे जाने पर अभियान की निगरानी कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''अभी तक 50 प्रतिशत से भी कम काम हुआ है। यह एक बड़ा क्षेत्र है जिसकी पूरी तरह से जांच करना शेष है। प्रमुख कार्य अभी भी किया जाना बाकी है। सर्वश्रेष्ठ परिणाम की उम्मीद है।''
उन्होंने कहा, ''नक्सल विरोधी अभियान का परिणाम केवल मारे गए नक्सलियों की संख्या या बरामद हथियारों की संख्या से निर्धारित नहीं होता है। प्रतिबंधित माओवादी संगठन के कब्जे से क्षेत्र को मुक्त करना और स्थानीय आबादी के लिए भूमि को फिर से सुरक्षित बनाना भी अभियान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।''
अधिकारी ने बताया कि जिस क्षेत्र में अभियान चल रहा है, वह पहाड़ियों की एक श्रृंखला के अलावा घने जंगलों से घिरा हुआ है और इसे माओवादियों की पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन नंबर एक का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। बटालियन नंबर एक माओवादियों का सबसे मजबूत सैन्य गठन है।
उन्होंने बताया कि जानकारी मिली है कि माओवादियों की पीएलजीए बटालियन नंबर एक, तेलंगाना राज्य समिति और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) से जुड़े पांच सौ से अधिक नक्सली अपने खूंखार नेताओं के नेतृत्व में बैठक के लिए एकत्र हुए थे, जिनमें केंद्रीय समिति के सदस्य चंद्रना, रामचंद्र रेड्डी, सुजाता, हिड़मा, पीएलजीए बटालियन कमांडर बरसे देवा शामिल थे।
अधिकारी ने कहा, ''24 हजार से अधिक राज्य और केंद्रीय बल के जवान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस अभियान में शामिल हैं। अभियान का उद्देश्य डीकेएसजेडसी, टीएससी, पीएलजीए बटालियन नंबर एक और केंद्रीय क्षेत्रीय समिति (सीआरसी) कंपनी के कब्जे से क्षेत्र को खाली कराना है, जिसे माओवादी निर्दोष स्थानीय आबादी और सुरक्षाबलों के खिलाफ अपनी योजना को अंजाम देने के लिए एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे।''
उन्होंने बताया कि अभियान में हेलीकॉप्टर और ड्रोन भी शामिल हैं।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने 24 अप्रैल को कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया तथा घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार, विस्फोटक और अन्य सामग्री बरामद की।
रविवार (27 अप्रैल) को तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और बीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने केंद्र से नक्सल विरोधी अभियान रोकने का आग्रह किया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में माओवादी विरोधी अभियानों में आदिवासी और युवा मारे जा रहे हैं।
उसी दिन बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों के एक समूह ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी से केंद्र को संघर्ष विराम की घोषणा करने और सीपीआई (माओवादियों) के साथ शांति वार्ता के लिए राजी करने का प्रयास करने का आग्रह किया था।
भाषा संजीव