धोखाधड़ी से निपटने के लिए पर्याप्त नियंत्रण और संतुलन मौजूद: सेबी प्रमुख
निहारिका रमण
- 01 May 2025, 04:29 PM
- Updated: 04:29 PM
(फाइल फोटो के साथ)
(आशीष अगाशे और शिल्पी पांडे)
मुंबई, एक मई (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा है कि भारत में धोखाधड़ी से निपटने के लिए पर्याप्त नियंत्रण व संतुलन मौजूद है। इसलिए जब भी कोई घोटाला सामने आता है तो किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि ‘प्रणाली काम नहीं कर रही है।’
सेबी के नवनियुक्त प्रमुख ने कहा कि आम तौर पर हम बातों पर आधारित साक्ष्यों से प्रभावित हो जाते हैं और आंकड़ों पर गौर किए बिना ही धोखाधड़ी के बारे में धारणा बना लेते हैं।
पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘ नियंत्रण व संतुलन मौजूद है। शेयर बाजार प्रथम पंक्ति के विनियामक हैं, बहुत सारे खुलासे हो रहे हैं, बहुत सारे लेखा परीक्षक अपना काम कर रहे हैं। इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि... प्रणाली काम नहीं कर रही है।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि नियमों का उल्लंघन करने वाले या धोखाधड़ी करने वाले लोगों की संख्या चिंता का विषय होनी चाहिए।
निजी क्षेत्र के एक बैंक के हाल ही में सामने आए उस मामले के बारे में उनसे सवाल किया गया जिसमें लेखा परीक्षकों की भूमिका अपर्याप्त पाई गई थी और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शेयर बिक्री की बात सामने आई थी।
इस पर पांडेय ने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया हालांकि कहा कि नियामक हमेशा ऐसे मामलों को देखता है और भेदिया कारोबार को बहुत गंभीरता से लेता है।
उन्होंने कहा कि सेबी को जब भी गंभीर गतिविधियों की जानकारी मिलती है तो वह कार्रवाई करता है। साथ ही ऐसा ठोस मामला बनाने का प्रयास करता है जो कानूनी चुनौतियों का सामना कर सके।
पांडेय ने कहा, ‘‘ हमारे (सेबी के) आदेश विस्तृत होने चाहिए, जांच विस्तृत होनी चाहिए, उन्हें अदालतों की जांच का सामना करना होगा, एक न्यायाधिकरण है, एक सर्वोच्च न्यायालय है।’’
उन्होंने सेबी के आदेशों को चुनौती देने के मामले में नियमित विफलताओं की धारणाओं से इनकार किया। वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सेबी के 92 प्रतिशत आदेशों को प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा है और उच्चतम न्यायालय में 80 प्रतिशत आदेश नियामक के पक्ष में गए हैं।
वाइटल कम्युनिकेशंस मामले में कथित असफलता पर पांडेय ने कहा कि इस मामले में सेबी द्वारा उठाए गए तीन मुद्दों में से दो को सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है।
सेबी प्रमुख ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक अपने प्रति विश्वास को और मजबूत करना चाहता है। इसीलिए उसने शीर्ष प्रबंधन द्वारा खुलासे और खुद को अलग करने के मामले पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया है। नियामक इस मामले में पारदर्शी रहना चाहता है।
इस सवाल पर कि कैसे ऐसे अधिकारी जो स्वयं सवाल के घेरे में हों, सेबी की बाह्य समितियों का हिस्सा बन जाते हैं...पांडेय ने कहा कि ऐसे विशेषज्ञों को रखने का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के विचार हासिल करना है और अंतत: आम जनता सहित विभिन्न पक्षों से ही नियम बनाने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा, ‘‘ समितियों में भी बिल्कुल विपरीत रुख है, क्योंकि अलग-अलग मध्यस्थ हैं। इसलिए अगर हम ऐसा कर रहे हैं, अगर मान लीजिए कि कुछ लोग कुछ खास लाभ चाहते हैं तो कुछ लोग इसका विरोध भी करना चाहेंगे और उनके पास इसके लिए अलग-अलग तर्क हो सकते हैं। इसलिए आपको आम सहमति बनानी होगी’’
उन्होंने अंतिम विनियमन को भिन्न-भिन्न विचारों का उत्पाद करार दिया।
भाषा निहारिका