पाक कब्जे वाले कश्मीर को भारत में मिलाने का सही वक्त : शिवपाल
सं आनन्द नोमान
- 04 May 2025, 06:03 PM
- Updated: 06:03 PM
गोंडा (उप्र), चार मई (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भारत को ‘पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर’ (पीओके) को वापस लेने का अब समय आ गया है।
यादव रविवार को गोंडा में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।
उन्होंने कहा, “भाजपा ने चुनावों में वादा किया था कि वह पीओके को भारत में शामिल करेगी, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।”
यादव ने कहा कि भारत सरकार को हर उस क्षेत्र पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो भारत का हिस्सा है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि समाजवादी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ी है, लेकिन सिर्फ बातों से कुछ नहीं होगा।
यादव ने कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, “जब-जब देश में आतंकवादी हमले हुए हैं, समाजवादी पार्टी ने हर बार राष्ट्र के साथ खड़े होकर आतंकवाद का विरोध किया है, लेकिन यह चिंताजनक है कि तमाम सुरक्षा दावों के बावजूद आतंकी देश में घुस कैसे आए। खुफिया एजेंसियां कहां थीं? सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।”
यादव ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में करणी सेना को ‘आतंकवादी मानसिकता वाला संगठन’ करार दिया।
उन्होंने राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन को दी गई धमकी का जिक्र करते हुए कहा, “यदि कोई संगठन सार्वजनिक रूप से एक सांसद को जान से मारने की धमकी देता है, तो उसे आतंकवादी मानसिकता वाला ही संगठन माना जाएगा।”
यादव ने सवाल किया कि ऐसी प्रवृत्तियों को भाजपा सरकार आखिर क्यों संरक्षण दे रही है?
गोंडा दौरे आए यादव ने मदरसों पर कार्रवाई और बहराइच के प्रसिद्ध दरगाह मेले पर प्रतिबंध को लेकर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया।
यादव ने कहा कि 500 वर्षों से चली आ रही परंपरा को रोकना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण निर्णय है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सिर्फ दिखावे के लिए धर्म की बात करती है, असल में वह सांप्रदायिक सौहार्द को तोड़ने में लगी है।
भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के सरकार में विधायकों की कोई औकात नहीं है संबंधी बयान पर यादव ने कहा कि जब सत्तारूढ़ दल के ही वरिष्ठ नेता लोकतंत्र की हत्या की बात कहें, तो यह साबित करता है कि वर्तमान सरकार जनप्रतिनिधियों की गरिमा को तार-तार कर रही है।
भाषा सं आनन्द