कर्नाटक सरकार ने आंकड़े जुटाने के लिये अनुसूचित जातियों की गिनती शुरू की
प्रीति माधव
- 05 May 2025, 09:03 PM
- Updated: 09:03 PM
बेंगलुरु, पांच मई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा है कि राज्य में अनुसूचित जाति उप-वर्गीकरण पर सर्वेक्षण शुरू हो गया है और यह 17 मई तक चलेगा। यह कवायद सोमवार को शुरू हुई।
मुख्यमंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘राज्य में अनुसूचित जातियों की गणना चल रही है। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एच.एन. नागमोहन दास के नेतृत्व में एक-सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है। उन्हें अनुसूचित जातियों की सूची में उप-कोटा पर स्पष्ट रिपोर्ट देने का काम सौंपा गया है।’’
उनके अनुसार, आयोग को 60 दिन में अपनी रिपोर्ट देनी है। इस कवायद पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और 65,000 शिक्षकों को गणना कर्मी के रूप में शामिल किया जाएगा।
सिद्धरमैया ने कहा कि इस कवायद का उद्देश्य अनुसूचित जाति सूची में 101 जातियों पर अनुभवजन्य आंकड़ा तैयार करना है।
इस प्रक्रिया का दूसरा चरण 19 से 21 मई के बीच आयोजित किया जाएगा और इस चरण के तहत पहले चरण में छूट गए लोगों के लाभ के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे।
सिद्धरमैया ने बताया कि ऑनलाइन पंजीकरण के लिए तीसरा चरण भी 19 मई से शुरू होगा और यह 23 मई तक चलेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग अपने शहरों से बाहर रह रहे हैं, वे इसका लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य एवं अन्य बनाम देवेन्द्र सिंह एवं अन्य मामले में एक अगस्त, 2024 को दिए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले में अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के आधार पर हमने न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग का गठन किया है।’’
उन्होंने बताया कि आयोग स्पष्ट सिफारिशें देगा और अनुभवजन्य आंकड़े तैयार करेगा।
सिद्धरमैया ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार किया गया है और एक हेल्पलाइन नंबर (9481359000) भी जारी किया गया है। उन्होंने राज्य के अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों से आगे आकर इस अभियान को सफल बनाने की अपील की।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक बयान में इस अभ्यास को अनुसूचित जातियों (एससी) को लक्षिच करके व्यापक जातिगत जनगणना कहा गया जिसका उद्देश्य उप-जाति जनसांख्यिकी पर अनुभवजन्य आंकड़े एकत्र करना है।
इसने बताया कि यह सर्वेक्षण पांच मई से 17 मई तक चलेगा और यह तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें घर-घर जाकर आकंड़े एकत्र करना, विशेष शिविर और ऑनलाइन स्व-घोषणा विकल्प उपलब्ध कराना शामिल है।
सिद्धरमैया के हवाले से कहा गया, ‘‘सरकार सटीक आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति समुदायों के बीच आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना में उप-जाति के बारे में विस्तृत जानकारी का अभाव था, इसलिए निष्पक्ष नीतिगत निर्णय लेने के लिए यह अभ्यास जरुरी हो गया।
कर्नाटक में यह कवायद ऐसे समय में शुरू की गई है जब कुछ समय पहले राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पिछड़ी जातियों के सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण पर एक रिपोर्ट पेश की गई थी।
राज्य सरकार ने अभी तक रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया है। चूंकि ‘‘पिछड़ी जातियों की जातिगत जनगणना’’ एक विवादास्पद मुद्दा बन गई है तथा विभिन्न प्रभावशाली समुदाय इसका विरोध कर रहे हैं इसलिए राज्य सरकार ने इस पर दो बार कैबिनेट की बैठकें स्थगित कर दी हैं।
सिद्धारमैया ने अब नौ मई को कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा करने का फैसला किया है।
भाषा प्रीति