कर्नल सोफिया कुरैशी: मीडिया को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी देने वालीं सैन्य अधिकारी
आशीष पवनेश
- 07 May 2025, 10:30 PM
- Updated: 10:30 PM
(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) सोफिया कुरैशी सेना में रहे अपने दादा से सैन्यकर्मियों की वीरता और बलिदान की कहानियां सुनकर बड़ी हुईं। कई सालों बाद, जब उन्होंने सशस्त्र बलों में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की, तो उनके परिवार ने बिना किसी हिचकिचाहट के उनके फैसले का दृढ़ता से समर्थन किया।
भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी ने बुधवार को भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में राष्ट्र को जानकारी दी।
भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए जाने के कुछ ही घंटों बाद ‘प्रेस ब्रीफिंग’ में विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ दो महिला अधिकारी-विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार की ओर से शुरुआती बयान दिया।
कुरैशी और सिंह ने छह-सात मई की रात को एक बजे से डेढ़ बजे तक निशाना बनाए गए स्थानों के नाम और विवरण साझा किए।
सोफिया कुरैशी ने कम उम्र में ही देश की सेवा करने की भावना को आत्मसात कर लिया था। उनके परिवार का सेना से जुड़ाव का लंबा इतिहास रहा है।
सिग्नल कोर की अधिकारी कुरैशी ने हिंदी में बात की, जबकि सिंह ने अंग्रेजी में विवरण साझा किया।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के लगभग दो सप्ताह बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सैन्य हमले किए गए।
वर्ष 2017 में आयोजित एक सामूहिक परिचर्चा में, कुरैशी ने सशस्त्र बलों में अपने सफर के बारे में बताया कि कैसे वह सेना में जाने के लिए प्रेरित हुईं।
कुरैशी ने कहा था, ‘‘एक फौजी के बच्चे के रूप में, मैं सेना के माहौल से वाकिफ थी। मेरी मां चाहती थी कि हम दोनों बहनें सेना में शामिल हों। मैंने इसके लिए आवेदन किया और मैं इसमें शामिल हो गई। मेरे दादा भी सेना में थे, और वह कहते थे ‘यह हमारी, हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि हम सतर्क रहें और अपने देश के लिए खड़े हों और राष्ट्र की रक्षा करें।’ यह गरिमापूर्ण और सम्मानजनक पेशा है।’’
कुरैशी ने यह भी कहा कि जब वह ‘‘(सैन्य) अकादमी में शामिल हुईं, तो करगिल युद्ध चल रहा था।’’
कर्नल कुरैशी के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें टेलीविजन पर देखकर आश्चर्य और गर्व हुआ।
कुरैशी की मां ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘हमारी बेटी ने देश के लिए जो किया है, उससे हम बहुत खुश हैं। सभी को अपने बच्चों, खासकर बेटियों को पढ़ाना चाहिए और उन्हें इस योग्य बनाना चाहिए कि वे अधिकारी बनें और देश के लिए कुछ करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब वह छोटी थी, तो उसके दादा उसे सेना के बारे में कहानियां सुनाया करते थे। जब वह बड़ी हुई, तो उसने कहा कि वह सेना में शामिल होना चाहती है... हमने उसे नहीं रोका।’’
कुरैशी के भाई ने कहा कि उन्हें अपनी बहन की उपलब्धियों पर गर्व है। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने उसे टीवी पर देखा, तो मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। मुझे यह समझने में थोड़ा समय लगा कि संबोधित करने वाली मेरी बहन है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।’’
भारत की कार्रवाई के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान के साथ हिसाब बराबर हो गया है।
कुरैशी का जन्म 1974 में गुजरात के वडोदरा में हुआ। उन्होंने 1997 में मनोनमनियम सुंदरनार (एमएस) विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की।
महत्वपूर्ण सिग्नल कोर में अधिकारी के रूप में कार्यरत, कुरैशी को 2006 में लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक की भूमिका के लिए चुना गया था, तथा वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में बाढ़ राहत अभियानों का हिस्सा रही थीं।
कुरैशी ने उस समय नयी मिसाल कायम की थी, जब 2016 में वह आसियान देशों के बीच शांति बनाए रखने में अंतर-संचालन के लिए भारत द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय क्षेत्रीय प्रशिक्षण अभ्यास, फोर्स 18 में अपनी सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं। वह संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण दल के हिस्से के रूप में अन्य देशों में भी जा चुकी हैं।
रक्षा मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर महिला दिवस पर एक पोस्ट में कुरैशी की तस्वीर साझा करते हुए कहा था, ‘‘2016 में फोर्स18-आसियान प्लस बहुराष्ट्रीय क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास में सेना प्रशिक्षण टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी। वह सभी आसियान प्लस टुकड़ियों में एकमात्र महिला अधिकारी टुकड़ी कमांडर थीं।’’
भाषा आशीष