महाराष्ट्र: एफपीओ ने छत्रपति संभाजीनगर में महिलाओं को सशक्त बनाया, वित्तीय स्थिरता प्रदान की
राखी नरेश
- 11 May 2025, 07:36 PM
- Updated: 07:36 PM
(आदित्य वाघमारे)
छत्रपति संभाजीनगर, 11 मई (भाषा) छत्रपति संभाजीनगर जिले के ग्रामीण इलाकों में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) ने महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है।
खेतों में मजदूरी कर 200-300 रुपये रोज कमाने वाली महिलाएं अब एफपीओ की प्रसंस्करण इकाई में काम कर रोज़ाना 2,000 रुपये तक कमा रही हैं।
कर्माद क्षेत्र की महिलाओं के लिए यह बदलाव न केवल आर्थिक रूप से सशक्तिकरण का माध्यम बना है, बल्कि इससे किसानों को बाजर में फसल की अधिकता के कारण होने वाले नुकसान से भी राहत मिली है।
पिछले कुछ वर्षों में छत्रपति संभाजीनगर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित कर्माद में प्याज और मक्का सुखाने की यूनिट स्थापित की गई हैं। ये यूनिट होटलों और खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों की आपूर्ति श्रंखला का हिस्सा हैं।
मक्का प्रसंस्करण यूनिट में तीन अन्य महिलाओं के साथ काम करने वाली पद्मजा वेदपाठक ने पीटीआई-भाषा से कहा, "हम सप्ताह के सातों दिन काम करते हैं और प्रतिदिन तीन टन मक्का प्रोसेस कर 2,000 रुपये तक कमा लेते हैं। पहले मैं किसी और के खेत में काम कर सिर्फ 300 रुपये कमाती थी। इस बदलाव ने हमारे पारिवारिक जीवन को बदल दिया है।"
एफपीओ की सदस्य प्रभावती पाडुल ने बताया कि यह संगठन वर्ष 2020 में स्थापित किया गया था। वे बाजार से अतिरिक्त मक्का खरीदते हैं और उसे प्रोसेस कर पोल्ट्री फीड, तेल और अन्य खाद्य उत्पादों में उपयोग करते हैं।
उन्होंने कहा, "हम मक्का 18 रुपये प्रति किलो में खरीदते हैं और उसे प्रोसेस कर 25 से 26 रुपये प्रति किलो में बेचते हैं। इससे प्रति किलो लगभग सात रुपये का लाभ होता है।"
कर्माद के पास स्थित हीवरा गांव में महिलाएं एक सौर ऊर्जा आधारित प्याज सुखाने की यूनिट चला रही हैं।
इस यूनिट में काम करने वाली रेखा पोफले ने कहा, "मैं यहां प्याज की छंटाई का काम करती हूं और प्रतिदिन 500 रुपये कमाती हूं। अब मेरे पास पैसे हैं जिससे मैं अपने परिवार को खुश रख सकती हूं। मेरे पोते-पोतियों की पढ़ाई कर्माद के अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल में हो रही है। हम अब बचत भी कर रहे हैं, कर्ज़ चुका रहे हैं और सोना भी खरीद पाए हैं।"
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के जिला विकास प्रबंधक सुरेश पाटवेकर ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि बैंक ने जिले में महिलाओं के लिए एफपीओ की स्थापना में मदद की है और लगभग 1,500 महिलाएं इनसे जुड़ी हैं।
उन्होंने कहा, "ये महिलाएं टमाटर, प्याज, अदरक और मक्का जैसे उत्पादों का प्रसंस्करण कर रही हैं। पहले जब किसान इन फसलों का अधिक उत्पादन करते थे, तो उन्हें अच्छा मूल्य नहीं मिलता था। अब एफपीओ इन उत्पादों को खरीदते और प्रोसेस करते हैं जिससे किसानों को बेहतर आमदनी होती है।"
पाटवेकर ने बताया कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में तीन एफपीओ सक्रिय हैं, जिनसे करीब 1,500 महिलाएं जुड़ी हैं और 1,000 से अधिक सब्जी डिहाइड्रेशन यूनिट चला रही हैं।
उन्होंने कहा, "हम उन्हें क्षमता निर्माण, वित्तपोषण, तकनीकी सहायता और बाजार उपलब्धता प्रदान करते हैं।"
महात्मा फुले एकात्मिक समाज मंडल के माध्यम से इस परियोजना को लागू कर रहे सतत विकास प्रमुख कैलाश राठोड़ ने बताया, "हमने पहले इस क्षेत्र में जल संरक्षण पर काम किया, फिर किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया। महाराष्ट्र में अब तक 32 एफपीओ बनाए गए हैं और हमने करीब 10,000 किसानों को इससे जोड़ा है।"
उन्होंने कहा कि छत्रपति संभाजीनगर जिले के इन तीन एफपीओ के माध्यम से इस वर्ष अब तक कुल कारोबार 74 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि वर्ष 2020 में यह आंकड़ा मात्र सात से आठ करोड़ रुपये था।
भाषा
राखी