जम्मू-कश्मीर के दंपति की बेहतर भविष्य की उम्मीद पाक गोलाबारी में टूटी, जुड़वां बच्चों की मौत
प्रशांत अविनाश
- 14 May 2025, 07:44 PM
- Updated: 07:44 PM
जम्मू, 14 मई (भाषा) अपने 12 वर्षीय जुड़वां बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद लिये सुदूर गांव से जम्मू कश्मीर के पुंछ शहर में किराये के मकान में रहने आए एक दंपति को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं था कि उनका यह फैसला उन्हें जिंदगी भर का दर्द दे जाएगा।
दोनों बच्चों जैन अली और ऊर्वा फातिमा को स्कूल में दाखिला लिये दो महीने से थोड़ा ही ज्यादा वक्त हुआ था कि सात मई को पाकिस्तान की तरफ से पुंछ में की गयी भीषण गोलाबारी की जद में उनका परिवार फंस गया। अब दोनों बच्चों को उनके घर के पास स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया गया है। बच्चों के पिता रमीज खान का जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पड़ोसी देश में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर मिसाइल हमले के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना ने भारी गोलाबारी शुरू कर दी।
जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से हुई गोलाबारी में कुल 28 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 20 से ज्यादा लोगों की मौत पुंछ और राजौरी जिलों में हुई। इसके अलावा घरों और पूजा स्थलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है।
खान के रिश्तेदार आदिल पठान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “वे सुरक्षित स्थान की तलाश में आगे बढ़ रहे थे, तभी एक गोला फट गया, जिसके परिणामस्वरूप लड़की की मौके पर ही मौत हो गई और पिता-पुत्र गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के कुछ ही मिनट के भीतर अस्पताल ले जाते समय लड़के ने भी दम तोड़ दिया।”
उन्होंने कहा कि 12 साल पहले खान की बेटी अपने भाई से पांच मिनट पहले इस दुनिया में आई थी और उसकी मृत्यु भी अपने भाई से लगभग पांच मिनट पहले हुई।
पठान ने कहा, “उन्होंने हाल ही में अपना 12वां जन्मदिन मनाया और अपने नए स्कूल को लेकर खुश थे, जहां उन्हें कक्षा पांच में दाखिला मिला था।”
खान के एक अन्य रिश्तेदार मोहम्मद फारूक ने कहा कि उन्होंने कभी भी सीमा पार से इतनी भीषण गोलाबारी नहीं देखी।
उन्होंने कहा, “यह हमारे परिवार के लिए बहुत बड़ी त्रासदी है। खान मंडी के एक सरकारी स्कूल में लाइब्रेरी असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे थे।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की गोलाबारी में परिवार के सपने चकनाचूर हो गए।
रिश्तेदारों ने खान की पत्नी उरुसा फातिमा की इस त्रासदी का बहादुरी से सामना करने के लिए सराहना की।
पठान ने कहा, “उसने अपने बच्चों का अंतिम संस्कार किया और अपने पति के साथ खड़ी है, जिसे बच्चों की मौत के बारे में कुछ भी पता नहीं है।” उन्होंने कहा कि खान को शनिवार को होश आया जब भारत और पाकिस्तान चार दिन से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने और युद्ध विराम करने के लिए सहमति पर पहुंचे।
पठान ने कहा कि घायल पिता नियमित रूप से अपने बच्चों के बारे में पूछ रहा है लेकिन “हम कब तक उससे वास्तविकता छिपा सकते हैं?”
उन्होंने बताया कि खान को जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को परिवार से मुलाकात की और उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
अब्दुल्ला ने कहा, “वे शोक में डूबे हुए हैं और मैं यहां केवल अपनी संवेदना, सहानुभूति और प्रशासन का समर्थन देने आया हूं। उन्होंने कोई मांग नहीं उठाई। यह परिवार के लिए दुखद समय है।”
कांग्रेस, भाजपा समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी पीड़ित परिवार से मिलकर संवेदनाएं व्यक्त कीं।
भाषा
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