मीडिया को दिल्ली के उपेक्षित धरोहरों को उजागर करने की जरूरत: स्वप्ना लिडल
सुरभि संतोष
- 14 May 2025, 08:05 PM
- Updated: 08:05 PM
नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) इतिहासकार स्वप्ना लिडल ने मीडिया से आग्रह किया कि वह ‘‘खतरे में पड़ी विरासत’’ की कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय पुरानी दिल्ली में अक्सर अनदेखा कर दिए गए विरासत स्थलों पर ध्यान केंद्रित करे, जिनकी क्षमता का अब तक इस्तेमाल नहीं किया गया है।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में मंगलवार को ‘‘कम ज्ञात विरासत: मीडिया की भूमिका’’ विषय पर लिडल ने पुरानी दिल्ली में ऐतिहासिक इमारतों को लगातार ध्वस्त किए जाने के खिलाफ चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि आज की पुरानी दिल्ली के शाहजहानाबाद में सूचीबद्ध 700 से अधिक विरासत इमारतों में से कई को ध्वस्त किया जा रहा है या उन्हें जर्जर हालत में छोड़ दिया गया है क्योंकि जनता की दिलचस्पी ‘‘आकर्षक और खूबसूरत’’ दिख रहे स्थलों में है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोग 1840 के दशक की खूबसूरत ऐतिहासिक तस्वीरें, पेंटिंग या 20वीं सदी की शुरुआत की तस्वीरें देखना चाहते हैं और कहते हैं, ‘वाह, यह चांदनी चौक था’, लेकिन समस्या यह है कि आज का चांदनी चौक वह नहीं है जो पहले हुआ करता था।’’
लिडल ने कहा, ‘‘यहां, मीडिया को (अपने दर्शकों के लिए) इन जगहों के बारे में फिर से विचार करना होगा और यह बताना होगा कि यह इन जगहों का सबसे अच्छा उपयोग नहीं है। विरासत एक संपत्ति है और खासकर ऐतिहासिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों में यह शहरी विकास विरासत द्वारा निर्देशित हो सकता है।’’
लिडल ने दिल्ली और उसके समृद्ध इतिहास पर किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘‘दिल्ली: 14 हिस्टोरिक वॉक्स’’, ‘‘चांदनी चौक: द मुगल सिटी ऑफ न्यू दिल्ली’’ और ‘‘कनॉट प्लेस एंड द मेकिंग ऑफ न्यू दिल्ली’’ शामिल हैं।
दिल्ली स्थित विरासत संरक्षक ने अपनी प्रस्तुति में पुरानी दिल्ली की विरासत की उपेक्षा को रेखांकित करते हुए आज की पुरानी दिल्ली, शाहजहानाबाद की ऐतिहासिक कलाकृतियों को - जिसमें ब्रिटिश सेना के अधिकारी और लेखक जॉन लुआर्ड द्वारा चांदनी चौक की भव्यता को दर्शाती 1826 की एक पेंटिंग भी शामिल है, को वर्तमान समय की छवियों के साथ जोड़कर दिखाया, जो उनकी गिरावट को दर्शाती हैं।
उन्होंने विशेष रूप से 1860 के दशक में निर्मित प्रतिष्ठित ‘टाउन हॉल’ की जर्जर संरचना और खराब हो रही ‘भागीरथ पैलेस’ इमारत की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो कभी बेगम समरू का निवास हुआ करती थी।
इस चर्चा में दिल्ली शहरी कला आयोग के अध्यक्ष अजीत पई, दूरदर्शन के लिए प्रसार भारती के महानिदेशक के. सतीश नंबूदरीपाद और आईआईसी के निदेशक के.एन. श्रीवास्तव भी शामिल हुए।
भाषा सुरभि