व्यापार समझौतों में शराब पर आयात शुल्क में कटौती से स्थानीय कंपनियों को होगा नुकसान: उद्योग
निहारिका रमण
- 16 May 2025, 02:30 PM
- Updated: 02:30 PM
नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) शराब बनाने वाली कंपनियों के शीर्ष संगठन सीआईएबीसी ने शुक्रवार को कहा कि भविष्य में होने वाले व्यापार समझौतों में आयात शुल्क में कटौती से घरेलू कंपनियों को नुकसान हो सकता है। इसका कारण यूरोपीय संघ, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयातित शराब पर रियायती शुल्क से भारतीय बाजार में इनकी आपूर्ति बढ़ सकती है।
सीआईएबीसी (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज) ने सरकार को कम लागत और कम गुणवत्ता वाली बोतलबंद ‘स्पिरिट’, थोक एवं बोतलबंद शराब के आयात को रोकने के लिए न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था लागू करने का भी सुझाव दिया।
संगठन ने कहा कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क में कटौती से घरेलू प्रीमियम श्रेणी के व्हिस्की ब्रांड पर असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे कम कीमत वाली स्कॉच व्हिस्की का आयात बढ़ने के आसार हैं।
भारत समझौते के तहत ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा तथा समझौते के 10वें वर्ष में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा।
सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने कहा, ‘‘ यदि यूरोपीय संघ, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे शराब उत्पादक देशों के साथ भविष्य के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत वाइन सहित अन्य स्पिरिट पर भी इसी प्रकार की शुल्क रियायतें दी जाती हैं, तो इससे भारतीय बाजार में शराब के आयात के लिए रास्ता खुल जाएगा और घरेलू स्तर पर उत्पादित गुणवत्तायुक्त शराब के ब्रांड पर अनुचित दबाव पड़ सकता है।’’
भारत, अभी तक ब्रिटिश शराब पर कोई शुल्क रियायत नहीं दे रहा है तथा दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के तहत ब्रिटेन की बीयर पर केवल सीमित आयात शुल्क लाभ दे रहा है।
भारत ने व्यापार समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को शराब पर शुल्क रियायत दी जो 29 दिसंबर 2022 को लागू है। उस सौदे में प्रीमियम आयातित वाइन पर शुल्क 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया था।
शराब बनाने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं।
भाषा निहारिका