गायब सेवा पुस्तिका ढूंढने के लिए चंपावत में अधिकारी ने कर्मचारियों से मांगे दो मुट्ठी चावल
सं दीप्ति सुरभि
- 17 May 2025, 12:15 AM
- Updated: 12:15 AM
चंपावत (उत्तराखंड), 16 मई (भाषा) उत्तराखंड के चंपावत जिले के लोहाघाट में लोक निर्माण विभाग के राष्ट्रीय राजमार्ग खंड कार्यालय के अधिशासी अभियंता का शुक्रवार को जारी हुआ एक अजीबोगरीब आदेश सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हुआ, जिसमें एक कर्मचारी की गायब सेवा पुस्तिका खोजने के लिए देवी-देवताओं के शरण में जाने की बात कही गयी है।
अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार द्वारा जारी आदेश में खंड में कार्यरत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से शनिवार को अपने घर से कार्यालय आते समय दो-दो मुटठी चावल साथ लाने को कहा गया है जिसे देवता को अर्पित कर गायब सेवा पुस्तिका ढूंढी जा सके।
पत्र में कहा गया है कि खंड में कार्यरत अपर सहायक अभियंता जय प्रकाश की सेवा पुस्तिका अधिष्ठान सहायक प्रथम की अलमारी से खो गयी है और काफी खोजबीन के बावजूद नहीं मिल पा रही है जिस कारण अधिष्ठान सहायक एवं जय प्रकाश दोनों मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं।
समस्या के समाधान के लिए अधिशासी अभियंता ने एक अनूठा सुझाव देते हुए कहा कि सभी अधिकारी व कर्मचारी अपने-अपने घर से दो-दो मुट्ठी चावल लेकर आएं जिन्हें देवता को अर्पित कर दिया जाएगा और इस ‘दैवीय उपाय’ से गायब सेवा पुस्तिका की समस्या का समाधान निकल सकता है।
पत्र में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से शनिवार को कार्यालय में दो-दो मुट्ठी चावल लेकर उपस्थित होने को कहा गया है जिन्हें मंदिर में चढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी।
इस आदेश के सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा होने लगी। कुछ लोगों ने इसे सरकारी तंत्र पर कटाक्ष करते हुए ‘आध्यात्मिक नौकरशाही’ की संज्ञा दी, तो कुछ ने इसे एक अधिकारी की मानवीय भावनाओं से जुड़ी पहल बताया।
हांलांकि, कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने यह भी लिखा कि चावल से न्याय की उम्मीद रखने वाला यह मामला प्रशासनिक लापरवाही के साथ यह भी दिखाता है कि सरकारी दफ्तरों में दस्तावेजों की सुरक्षा और रिकॉर्ड-प्रबंधन कितने कमजोर हैं।
इस बीच, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेश चंद्र ने अधिशासी अभियंता को जबाब तलब किया है और तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है। ऐसा न करने पर पत्र में कुमार को कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है।
भाषा सं दीप्ति