कांग्रेस केंद्र से ‘किसी तीसरे देश के इशारे पर अचानक संघर्ष विराम’ से जुड़े सवाल पूछेगी: कर्रा
रंजन संतोष
- 18 May 2025, 07:00 PM
- Updated: 07:00 PM
जम्मू, 18 मई (भाषा) जम्मू-कश्मीर की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ‘तिरंगा रैलियां’ निकालकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी केंद्र से जवाब के लिए कुछ सवाल तैयार कर रही है जिसमें खास तौर पर ‘किसी तीसरे देश के इशारे पर अचानक संघर्ष विराम’ से जुड़े सवाल होंगे।
कर्रा ने पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित सीमावर्ती क्षेत्र के निवासियों के पुनर्वास के लिए केंद्रीय पैकेज, हालिया संघर्ष के दौरान मारे गए लोगों और पहलगाम हमले के पीड़ितों को शहीद का दर्जा देने और सीमा पार से गोलाबारी की हालिया प्रवृत्ति के आधार पर सीमावर्ती क्षेत्र की आबादी को सुरक्षा देने के लिए भूमिगत बंकरों के निर्माण की भी मांग की।
कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी सहित हमारे नेतृत्व ने बार-बार कहा है कि हमें इसका (ऑपरेशन सिंदूर) राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए और हमें देश के साथ रहना चाहिए और देश हित में केंद्र सरकार के सभी कदमों का समर्थन करना चाहिए। इसलिए हमने इस बारे में कोई सवाल नहीं उठाया।’’
हालांकि, कांग्रेस ने ताजा सैन्य गतिरोध से संबंधित प्रश्नों का एक सेट तैयार किया है, क्योंकि देश के लोग कुछ चीजें जानना चाहते हैं, जिसमें ‘किसी तीसरे देश द्वारा अचानक घोषित युद्ध विराम’ के बारे में जानना शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘हम बहुत जल्द ही ये सवाल उठाएंगे, शायद कुछ दिनों के भीतर। हम जय हिंद सभाएं और जय हिंद यात्राएं कर रहे हैं... भाजपा ने हाल की घटनाओं का राजनीतिकरण करने की कोशिश की है, क्योंकि वह जनता को जवाब देने को तैयार नहीं है और सेना की पहल का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रही है।’
कर्रा ने कहा कि राष्ट्र भाजपा से पूछना चाहेगा कि ऑपरेशन सिंदूर सशस्त्र बलों द्वारा चलाया गया था या सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा।
उन्होंने केहा, ‘‘वे (भाजपा नेता) ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर तिरंगा रैलियां निकाल रहे हैं और यह बेहद निंदनीय है। यह हमारी सेना की वीरता का सीधा अपमान है।’’
सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस की मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा जानबूझकर इसे टाल रही है, क्योंकि उसके पास कोई जवाब नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश की 140 करोड़ की आबादी को यह जानने का अधिकार है कि पहलगाम में क्या हुआ और कौन दोषी था। किसी तीसरे देश द्वारा अचानक युद्ध विराम की घोषणा हमारे देश की घोषित स्थिति और हमारी विदेश नीति के विपरीत है।’’
कर्रा ने जोर देकर कहा कि देश की चिंता यह है कि क्या भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘वह समझ क्या है? देश को यह जानने की जरूरत है कि यह समझ थी या समझौता। अगर यह समझौता था, तो वह क्या था। हमने युद्ध के संदर्भ में कभी भी ‘समझ’ शब्द नहीं सुना है। वह समझ क्या है। देश को यह जानने की जरूरत है।’’
भाषा रंजन