मणिपुर में 350 से अधिक उग्रवादी गिरफ्तार, जबरन वसूली रैकेट में थे शामिल
नेत्रपाल दिलीप
- 18 May 2025, 07:13 PM
- Updated: 07:13 PM
(सुमीर कौल)
इंफाल/नई दिल्ली, 18 मई (भाषा) मणिपुर में सुरक्षाबलों ने जबरन वसूली करने वाले गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 350 से अधिक उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
इन लोगों में मुख्य रूप से घाटी के निवासी हैं और ये वैवाहिक विवादों के समाधान तथा सरकारी निविदाओं में हिस्सा मांगने के लिए वसूली रैकेट चलाते थे।
इन विद्रोहियों को इस साल फरवरी के मध्य में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद पकड़ा गया।
राज्यपाल के प्रशासन द्वारा आम जनता को स्पष्ट निर्देश जारी किया गया है कि वे किसी भी जबरन वसूली के प्रयास की सूचना पुलिस को दें, अन्यथा उग्रवादियों की सहायता करने पर कानूनी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
अधिकारियों ने कहा कि कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए 350 से अधिक लोगों के खिलाफ जांच से पता चलता है कि राष्ट्रपति शासन के बाद सुरक्षाबलों के दबाव का सामना कर रहे उग्रवादी समूह धन के लिए काफी हताश हो रहे हैं तथा अपने तरीकों में अधिक मुखर हो रहे हैं।
अधिकतर उग्रवादियों को इंफाल पूर्वी क्षेत्र से तथा उसके बाद इंफाल पश्चिमी क्षेत्र से पकड़ा गया है।
अधिकारियों ने कहा कि यह सिर्फ़ पैसे का मामला है और इसके लिए वे व्यक्तिगत झगड़े, पारिवारिक झगड़े और यहां तक कि वैवाहिक विवाद भी सुलझाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आपको कोई समस्या है और आपके पास सही ‘कनेक्शन’ है, तो वे आपका ‘समाधान’ बन जाते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें निश्चित रूप से कीमत चुकानी पड़ती है।
अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में मणिपुर पुलिस ने इंफाल पूर्वी से ‘टाइगर’ नामक एक व्यक्ति को उस समय हिरासत में लिया, जब वह एक दंपति के परिवारों के बीच वैवाहिक विवाद को सुलझाने के काम में लगा था।
बाद में उसकी पहचान प्रतिबंधित यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) से जुड़े लैशराम रमेश सिंह के रूप में हुई। प्रारंभिक जांच के दौरान, उसने पुलिस को बताया कि वह सितंबर 2024 में संगठन में शामिल हुआ था और वर्तमान में इसके ‘‘वित्त अनुभाग’’ में काम कर रहा था।
अधिकारियों ने दावा किया कि उसने पैसों की मांग और धमकियां देकर तथा इंफाल और इसके आसपास के इलाकों में स्थित सरकारी अधिकारियों से धन एकत्र करके जबरन वसूली की गतिविधियों में शामिल होने की बात कबूल की है। इसके अलावा उसने विभिन्न सरकारी निविदाओं में व्यापारिक घरानों से भी पैसे वसूलने की बात कबूल की है।
उसके पास से दो मोबाइल हैंडसेट और 21,50,000 रुपये की जबरन वसूली की रकम बरामद की गई।
अधिकारियों ने कहा कि उग्रवादी समूह इस काम में लगातार प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनकी एक रणनीति में किसी भी पूर्वोत्तर राज्य से झूठे दस्तावेज के साथ सिम कार्ड प्राप्त करना और उनका उपयोग व्हाट्सऐप, टेलीग्राम आदि पर वाई-फाई नेटवर्क के माध्यम से ‘वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल’ (वीओआईपी) कॉल करना शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि पीड़ितों को सीमा पार से एक कॉल आती थी और उन्हें एक कोड दिया जाता था। फिर उन्हें निर्देश दिया जाता था कि जो भी व्यक्ति वह कोड बताएगा, उसे मांगे गए पैसे सौंप दें।
उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में, कुछ संदिग्ध नागरिक संगठन जबरन वसूली में शामिल थे, जिसे बाद में कुछ कटौती के बाद उग्रवादी समूहों तक पहुंचा दिया गया।
इस वर्ष फरवरी में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद अनुच्छेद 356 के तहत पूर्वोत्तर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, जिसका उद्देश्य जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में व्यवस्था बहाल करना था।
असम राइफल्स, जो मणिपुर में कानून और व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, ने जबरन वसूली में लिप्त 77 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चुराचांदपुर के पहाड़ी आधारित समूहों के सात उग्रवादी भी शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में जबरन वसूली मुख्य रूप से प्रतिबंधित यूएनएलएफ, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), कांगलेई यावोल कानबा लुप (केवाईकेएल) और पीपुल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके) के लोगों द्वारा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में यूएनएलएफ के सदस्यों की संख्या 530 है, जिसके बाद पीएलए के 450 तथा केवाईकेएल के 25 सदस्य हैं।
यूएनएलएफ अतीत में बड़े पैमाने पर जबरन वसूली में शामिल रहा है। यह ठेकेदारों और व्यापारियों को निशाना बनाता रहा है। वहीं, मणिपुर के प्राचीन नाम 'पोलेई' के नाम से आकार लेने वाले पीएलए का उद्देश्य ‘‘मणिपुर को मुक्त कराना’’ और इंफाल घाटी में एक स्वतंत्र मैतेई क्षेत्र स्थापित करना है।
जबरन वसूली पर चलने वाला केवाईकेएल अन्य उग्रवादी समूहों को खुलेआम समर्थन देता है। यह एक भाड़े का समूह माना जाता है, जिसकी कोई विचारधारा नहीं है और इसके सदस्य मुख्य रूप से अपराधी तथा नशेड़ी हैं।
मणिपुर की तथाकथित मुक्ति की अलगाववादी विचारधारा के कारण सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए पीआरईपीएके का वित्तपोषण मुख्य रूप से व्यवसायियों, विशेषकर फार्मेसी से जबरन वसूली से होता है। यह मुख्य रूप से मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त है।
यह उग्रवादी समूह पीएलए और यूएनएलएफ की ओर से भी जबरन वसूली में शामिल है तथा हिस्सा रखने के बाद रकम आगे बढ़ा देता है।
वहीं, जबरन वसूली और नशीले पदार्थों के कारोबार में लिप्त कुकी-आधारित समूहों में चिन कुकी मिजो आर्मी (सीकेएमए) और चिन कुकी लिबरेशन आर्मी (सीकेएलए) शामिल हैं।
भाषा नेत्रपाल