तकनीकी खामी की वजह से पीएसएलवी रॉकेट पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को कक्षा में भेजने में विफल रहा
नेत्रपाल सुभाष
- 18 May 2025, 08:33 PM
- Updated: 08:33 PM
(तस्वीरों के साथ)
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 18 मई (भाषा) इसरो रविवार को अपने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा, क्योंकि यहां अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण के कुछ ही मिनटों बाद उसके विश्वसनीय पीएसएलवी रॉकेट में खराबी आ गई।
यहां स्थित अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के 101वें मिशन में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी61) ने सुबह 5:59 बजे उड़ान भरी, लेकिन उड़ान के छह मिनट बाद ही इसमें कुछ असामान्यता आ गई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा, ‘‘आज हमारा श्रीहरिकोटा से ‘पीएसएलवीसी61 ईओएस-09 मिशन’ के तहत 101वें प्रक्षेपण का लक्ष्य था। पीएसएलवी चार चरण वाला यान है और दूसरे चरण तक इसका प्रदर्शन सामान्य था। तीसरे चरण में मोटर सही से चालू हो गई थी लेकिन इस चरण के संचालन के दौरान मिशन पूरा नहीं हो सका।’’
नारायणन ने कहा कि मोटर केस के चैम्बर दबाव में गिरावट आई और मिशन पूरा नहीं हो सका।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरे प्रदर्शन की समीक्षा कर रहे हैं तथा जल्द ही और जानकारी देंगे।’’
यह इसरो के विश्वसनीय रॉकेट ‘पीएसएलवी’ की तीसरी विफलता है। पीएसएलवी को इसलिए भी काफी भरोसेमंद माना जाता है कि इसने ‘चंद्रयान-1’ और ‘मंगल ऑर्बिटर मिशन’ को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।
पीएसएलवी ने अब तक 63 प्रक्षेपण किए हैं। इससे पहले 1993 में पीएसएलवी की पहली उड़ान में असफलता मिली थी और 2017 में यह दिशा-निर्देशन उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में सफल नहीं हो पाया था।
जनवरी में, इसरो के दिशा-निर्देशन उपग्रह ‘एनवीएस-02’ को भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) द्वारा कक्षा में भेजे जाने के बाद विफलता का सामना करना पड़ा। यह उपग्रह भूस्थिर कक्षा में स्थापित किया जाना था तथा वर्तमान में दीर्घवृत्ताकार कक्षा से संचालित हो रहा है।
रविवार को प्रक्षेपण के बाद पीएसएलवी सी61 की उड़ान पर मिशन नियंत्रण केंद्र और देश के विभिन्न भागों में स्थित इसरो की अन्य इकाइयों से नजर रखी गई।
आज के प्रक्षेपण के बाद पीएसएलवी सी61 की उड़ान पर मिशन नियंत्रण केंद्र और देश के विभिन्न भागों में स्थित इसरो की अन्य इकाइयों से नजर रखी गई।
इसरो द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पीएस1 (प्रथम चरण) का पृथक्करण प्रक्षेपण के बाद 111.64 सेकंड में निर्धारित किया गया था, लेकिन यह 110 सेकंड में ही पूरा हो गया।
इसके अलावा रॉकेट के दूसरे चरण का ‘इग्निशन’ 111.84 सेकंड पर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यह प्रक्रिया 110.2 सेकंड में पूरी हो गई जिससे मामूली अंतर रह गया।
इसी प्रकार, पीएस2 (द्वितीय चरण) पृथक्करण का लक्ष्य 264.34 सेकंड में निर्धारित था, लेकिन यह 261.8 सेकंड में हुआ।
चीजें अपेक्षित रूप से आगे बढ़ रही थीं जो मिशन की प्रगति के बारे में वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही नियमित घोषणाओं से पता चल रहा था लेकिन तीसरे चरण पर पहुंचने के बाद एक गड़बड़ी सामने आई।
जब इसरो के एक सेवानिवृत्त अधिकारी से पूछा गया कि इस तरह की समस्या के बाद रॉकेट का क्या होता है, तो उन्होंने कहा कि यह समुद्र में गिर गया होगा, क्योंकि यह समस्या लगभग 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर पैदा हुई थी।
पीएसएलवी को अपने 63वें मिशन के तहत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस-09) को लेकर जाना था। पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09 वर्ष 2022 में प्रक्षेपित किए गए ईओएस-04 जैसा ही एक उपग्रह है।
‘सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार’ से लैस ईओएस-09 मौसम की सभी परिस्थितियों में किसी भी समय पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है। यह उपग्रह कृषि और वानिकी निगरानी से लेकर आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, उपग्रह को उसकी प्रभावी मिशन अवधि के बाद कक्षा से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में ईंधन आरक्षित कर लिया गया था ताकि इसे दो वर्षों के भीतर कक्षा में नीचे उतारा जा सके, जिससे मलबा-मुक्त मिशन सुनिश्चित हो सके।
इस बीच, इसरो के पूर्व अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, ‘‘मुझे तीसरे चरण के लिए ठोस मोटर के विकास के दौरान आने वाली कठिन चुनौतियों का पता है - यह एक ऐसा प्रयास रहा है जिसमें कई असफलताएं देखने को मिलीं।’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इस स्तर पर ऐसी विसंगतियों का फिर से उभरना वास्तव में असामान्य है। फिर भी, मुझे पूरा विश्वास है कि टीम मूल कारण का शीघ्रता और प्रभावी ढंग से पता लगा लेगी।’’
भाषा नेत्रपाल