न्यायालय ने प्रदूषण नियंत्रण समिति में रिक्तियों को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई
सुभाष दिलीप
- 19 May 2025, 05:49 PM
- Updated: 05:49 PM
नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति में रिक्त पदों को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और उसे इस साल सितंबर तक सभी पदों को भरने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि कुल 204 रिक्तियों में से अभी तक केवल 83 ही भरी गई हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हम दिल्ली सरकार की ढिलाई को बर्दाश्त नहीं कर सकते, खासकर उस स्थिति में जब दिल्ली वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है। हम राज्य को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि सितंबर 2025 तक सभी 204 रिक्तियां भर दी जाएं। पंद्रह अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल किया जाए। यदि सभी रिक्तियां नहीं भरी गईं, तो यह घोर अवमानना का मामला होगा।’’
शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को अग्रिम रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया छह महीने पहले शुरू करने का भी निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने छह महीने का समय मांगा और साल के अंत तक पदों को भरने का आश्वासन दिया।
हालांकि, अदालत ने पूछा, ‘‘साल के अंत में क्यों? बोर्ड का गठन सरकार करती है। सरकार यह नहीं कह सकती कि वह पदों को भरने के लिये छह महीने का समय लेगी। हलफनामे में यह भी नहीं लिखा है कि प्रक्रिया कब शुरू होगी। विज्ञापन कब प्रकाशित होगा, आदि।’’
शीर्ष अदालत ने इसे दुखद स्थिति बताते हुए दिल्ली और उसके पड़ोसी राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को उनके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्तियों को न भरने के लिए 8 मई को फटकार लगाई।
इसके बाद, उसने अगस्त 2024 के अपने आदेश का पालन न करने पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें इस साल 30 अप्रैल तक रिक्तियों को भरने के लिए कहा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति में 55 प्रतिशत पद रिक्त हैं और यह चौंकाने वाली बात है कि निकाय ‘‘वस्तुतः निष्क्रिय’’ है।
न्यायालय ने नोटिस जारी करते हुए अधिकारियों को यह बताने का आदेश दिया कि अनुपालन नहीं करने के लिए उन्हें न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दंडित क्यों न किया जाए।
शीर्ष अदालत ने मुख्य सचिवों को यह बताने का आदेश दिया कि उन्हें न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दंडित क्यों न किया जाए। न्यायालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में 21 प्रतिशत रिक्त पदों को भी ध्यान में रखा और उन्हें अगस्त 2025 तक भरने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) में अधिकारियों की कमी को भी रेखांकित किया और केंद्र को अगस्त 2025 तक रिक्तियों को भरना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
भाषा सुभाष