क्या बिल्लियां दूध पी सकती हैं? पुरानी मान्यता के अनुसार हां, लेकिन यह वास्तव में बुरा विचार है
(द कन्वरसेशन) धीरज नरेश
- 20 May 2025, 04:19 PM
- Updated: 04:19 PM
(जूलिया हेननिंग, एडिलेड विश्वविद्यालय)
एडिलेड, 20 मई (द कन्वरसेशन)बिल्लियों का इंसानों के साथ संबंध का एक लंबा इतिहास है। वे 9,000 साल से भी ज्यादा समय से इंसानों के साथ रह रही हैं। हमारे पूर्वजों को परेशान करने वाले चूहे जब मानव बस्तियों की ओर आए तो उन्होंने बिल्लियों को चूहे पकड़ने में उपयोगी पाया और धीरे-धीरे उन्हें पालतू बना लिया।
किसानों ने उन्हें कीट नियंत्रक के रूप में काम पर रखना शुरू कर दिया। इसी संबंध के जरिए बिल्लियों और दूध का पहली बार परिचय हुआ।
पालतू जानवरों के भोजन के व्यावसायीकरण से पहले, बिल्लियों को ज्यादातर परिवार में बचे हुए खाने पर पाला जाता था। उनकी पोषण संबंधी जरूरतों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
स्कॉटिश चिकित्सक गॉर्डन स्टेबल्स ने पहली बार बिल्लियों पर 1877 में लिखी अपनी पुस्तक में रेखांकित किया कि बिल्लियों को दो कटोरे की जरूरत होती है एक पानी के लिए और दूसरा दूध के लिए। उन्होंने बिल्लियों के लिए बेहतरीन नाश्ते के रूप में दलिया और दूध का सुझाव दिया था।
इसके आधार पर कला, पुस्तकों, फिल्मों और कार्टूनों में दूध-प्रेमी बिल्लियों का चित्रण किया गया। इससे बिल्लियों और दूध की छवि जन भावना में और अधिक गहराई तक बैठ गई। यहां तक कि एक आदर्श रूपक में भी दर्शाया गया, जिसमें एक गली की गंदी बिल्ली को बारिश से बचाया जाता है जिसके बाद एक रहमदिल अजनबी उसे प्याली में दूध परोसता है।
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बिल्लियों और दूध का संबंध निर्विवाद रूप से जनमानस में है, लेकिन अब शोध हमें बताते हैं कि बिल्लियों को दूध बिल्कुल नहीं पीना चाहिए।
अधिकतर बिल्लियां लैक्टोज नहीं पचा पाती
सभी स्तनधारियों की तरह, बिल्लियां भी अपनी मां का दूध पीकर जीवन शुरू करती हैं। लेकिन बाद में बिल्ली के बच्चे के लिए दूध का आहार एक बिल्कुल अनावश्यक हिस्सा बन जाता है।
मां द्वारा दूध छुड़ाने के बाद (लगभग 6-12 सप्ताह की उम्र में), बिल्ली के बच्चे दूध में लैक्टोज को पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम लैक्टेज का उत्पादन बंद कर देते हैं। अधिकांश बिल्लियों के लिए, इसका मतलब है कि वे लैक्टोज पचा नहीं पाएंगे।
मनुष्यों में जिस तरह से प्रत्येक व्यक्ति में लैक्टोज को न पचाने का स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि उसका शरीर स्वाभाविक रूप से कितना एंजाइम उत्पन्न करता है। यही मामला बिल्लियों का भी है।
हालांकि, अपने बिल्ली के बच्चे को दूध देने में जल्दबाजी न करें। सिर्फ इसलिए कि बिल्ली के बच्चे लैक्टोज को पचा सकते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें गाय का दूध पीना चाहिए। बिल्लियां गायों की तुलना में बहुत छोटी होती हैं और, संयोगवश, मादा बिल्लियों के दूध में लैक्टोज की मात्रा गाय के दूध की तुलना में बहुत कम होती है।
बेहतर होगा कि उन्हें अपनी मां का दूध पीने दिया जाए या फिर उन्हें बिल्ली के बच्चे के लिए उपयुक्त फॉर्मूला दूध दिया जाए।
लैक्टोज न पचा पाना ही एकमात्र कारण नहीं है जिसकी वजह से आपको अपनी बिल्लियों को दूध नहीं देना चाहिए। हालांकि यह दुर्लभ है, लेकिन बिल्लियों को दूध या डेरी उत्पादों से भी एलर्जी हो सकती है।
दूध पीने वाली बिल्लियों को क्या होता है ?
लैक्टोज एक प्रकार की शर्करा है। जब इसे रक्तप्रवाह में अवशोषित करने के लिए तोड़ा नहीं जा सकता, तो लैक्टोज आंतों से होते हुए मलाशय तक पहुंच जाता है जहां शरीर के अंदर मौजूद बैक्टीरिया इसमें रासायनिक क्रिया करने लगते हैं।
इस रासायनिक क्रिया से लैक्टोज अम्ल और गैसों में विखंडित हो जाता है जिससे अप्रिय लक्षण पैदा करते हैं। इनमें अत्यधिक गैस, मलाशय में सूजन, कब्ज, पेट में दर्द और कभी-कभी मतली और उल्टी शामिल हैं। बिल्लियों में अतिसार सबसे आम लक्षण है।
गंभीर या लगातार दस्त से निर्जलीकरण, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और कुपोषण जैसी अन्य जटिलताएं हो सकती हैं। कुछ मामलों में, यह जानलेवा भी हो सकता है। जो बिल्लियां अपने आहार के रूप में नियमित रूप से दूध या डेरी उत्पाद खाती हैं, उनमें इन स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
यदि दूध बिल्लियों के लिए इतना बुरा है, तो वे इसे इतना पसंद क्यों करती हैं?
हमें अक्सर ऐसी चीजें पसंद आती हैं जो हमारे लिए बुरी होती हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब देने के लिए, हमें सबसे पहले यह याद रखना होगा कि गाय का दूध बछड़े को पिलाने और बड़ा करने के लिए होता है।
इस जरूरत को पूरा करने के लिए, इसमें प्रोटीन और वसा का एक ऐसा मिश्रण होता है जो विशेष रूप से बिल्लियों के लिए बेहद स्वादिष्ट होता है। बिल्लियों को इष्टतम स्वास्थ्य और दैनिक कामकाज के लिए उच्च स्तर के प्रोटीन और वसा की आवश्यकता होती है।
गाय के दूध में विशेषतौर पर एक खास प्रोटीन ‘कैसिइन’ की अधिक मात्रा होती है, जिसे शरीर द्वारा ‘अल्फा-कैसोज़ेपिन’ में तोड़ा जाता है। कुछ अध्ययनों में, इसे बिल्लियों में शांत करने वाले प्रभाव से जोड़ा गया है। हालांकि यह शुरू में बिल्ली को दूध पीने के लिए प्रेरित नहीं करेगा, लेकिन समय के साथ दूध के साथ उसका सहज जुड़ाव हो सकता है।
क्या मैं कभी-कभी दूध दे सकता हूं? दूध के अन्य विकल्प क्या हैं? संक्षेप में उत्तर है: नहीं।
डेरी उत्पाद बिल्लियों के आहार का स्वाभाविक हिस्सा नहीं है। हालांकि उन्हें इसका स्वाद पसंद हो सकता है, लेकिन दूध से आपके प्यारे दोस्त को असुविधा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए इसे पूरी तरह से टालना ही बेहतर है।
अगर आप सोच रहे हैं कि आपकी बिल्ली उन भाग्यशाली बिल्लियों में से एक है जो लैक्टोज ‘असहनशील’ नहीं है, तो फिर से सोचें। बिल्लियां अपनी कमजोरी या असुविधा को छिपाने में बहुत माहिर होती हैं क्योंकि जंगल में कमजोरी दिखाने से वे शिकारियों का निशाना बन सकती हैं।
यदि आपको ऐसा करना ही है, तो लैक्टोज-मुक्त दूध या विशेष रूप से बिल्लियों के लिए तैयार दूध का चुनाव करें, तथा इसे भी कभी-कभार ही दें।
हालांकि यह विशेष रूप से तैयार दूध भी सामान्य गाय के दूध की तरह उनके पेट को परेशान नहीं करेगा, फिर भी यह आपकी बिल्ली को कोई पोषण संबंधी लाभ नहीं देगा।
ओट, सोया या बादाम दूध जैसे दूध के विकल्पों के बारे में क्या?
आपकी बिल्ली के आहार में कोई भी असामान्य चीज शामिल करने से पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है, इसलिए इनसे बचना ही बेहतर है।
क्या है निष्कर्ष?
अपनी बिल्ली को दूध न दें। उन्हें इसकी ज़रूरत नहीं है, वे शायद इसे पचा नहीं पाएंगी और इससे उन्हें ज्यादा दर्द हो सकता है।
(द कन्वरसेशन) धीरज