जातिगत जनगणना पीछे छूटे लोगों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक कदम:प्रधानमंत्री मोदी
संतोष नरेश
- 25 May 2025, 09:56 PM
- Updated: 09:56 PM
नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि जातिगत जनगणना हाशिये पर खड़े और पीछे रह गए लोगों को विकास की मुख्य धारा में लाने की दिशा में एक कदम है।
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार जाति की राजनीति में विश्वास नहीं करती, बल्कि हाशिए पर पड़े लोगों के सशक्तिकरण में विश्वास करती है।
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में देश के कदम की पुष्टि करती है।
उनका स्पष्ट इशारा हाल के भारत-पाकिस्तान संघर्ष में स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की ओर था।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता समेत सात सर्वश्रेष्ठ शासन पद्धतियों पर विभिन्न मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों ने प्रस्तुतियां दीं।
मोदी ने उनके विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाने का सुझाव दिया, जिसमें यह भी शामिल था कि इन्हें अन्यत्र कैसे एकीकृत किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि राजग शासित राज्यों की ओर से समन्वित प्रयास से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने में तेजी आ सकती है।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने नेताओं से बेवजह बोलने की प्रवृत्ति से बाज आने को भी कहा, जिसे ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई स्थानों पर सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों द्वारा की गई असंवेदनशील और विवादास्पद टिप्पणियों से उत्पन्न राजनीतिक विवादों की पृष्ठभूमि में उनकी (मोदी) अस्वीकृति की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
संवाददाताओं को जानकारी देते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि 20 मुख्यमंत्रियों और 18 उपमुख्यमंत्रियों ने सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें दो प्रस्ताव पारित किए गए। उन्होंने कहा कि एक प्रस्ताव हालिया सैन्य कार्रवाई के संदर्भ में सशस्त्र बलों की वीरता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साहसिक नेतृत्व की सराहना करता है और दूसरा अगली जनगणना में जातीय गणना के निर्णय की प्रशंसा करता है।
नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सशस्त्र बलों की प्रशंसा की। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि मोदी ने भारत को तेजी से विकसित देश बनाने और इसे ‘शक्तिशाली, सक्षम और आत्मनिर्भर’ बनाने के लक्ष्य पर भी जोर दिया।
नड्डा ने कहा कि जातिगत जनगणना हमेशा से सत्तारूढ़ गठबंधन की कल्पना का हिस्सा रही है। उन्होंने कहा कि जनता दल(यूनाइटेड) के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ऐसा करने वाली पहली सरकार थी।
नड्डा ने कहा कि प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि राजग जाति की राजनीति में विश्वास नहीं करता है, लेकिन वंचितों, शोषितों, दलितों और पीछे छूट गए अन्य लोगों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए जातिगत जनगणना की आवश्यकता को स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि यह समाज की जरूरत है।
सूत्रों ने बताया कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू अपने राज्य में पहले से निर्धारित कार्यक्रम के कारण बैठक में शामिल नहीं हुए।
सूत्रों ने बताया कि मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने हर क्षेत्र में पिछड़े लोगों के लिए काम किया है, चाहे वह पूर्वोत्तर जैसे भौगोलिक क्षेत्र हों या पिछड़े जिले हों या लैंगिक आधार पर महिलाएं हों।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रस्ताव पेश किया, जिसका समर्थन आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने किया। दोनों ही पिछड़े वर्ग के नेता हैं।
सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर पर प्रस्ताव को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पढ़ा और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसका समर्थन किया। इसमें कहा गया कि इससे भारतीयों का आत्मविश्वास बढ़ा है।
प्रस्ताव में कहा गया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति राजग सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की है और सीमा पार के आतंकवादियों को एक स्पष्ट संदेश दिया है।
शिंदे ने कहा कि नया राष्ट्रीय आख्यान यह है कि भारत किसी भी आतंकवादी हमले का निर्णायक ढंग से जवाब देगा। शिंदे ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत हर चुनौती का सामना निडरता से कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रस्ताव राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति राजग की एकजुट प्रतिबद्धता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उसके अटूट विश्वास का प्रतीक है।’’
मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि उन्होंने हमेशा सशस्त्र बलों का समर्थन किया है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों को करारा जवाब दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह भी एक दिवसीय बैठक में शामिल हुए।
बैठक के दौरान मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ और सुशासन के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। इस सम्मेलन में विचार-विमर्श का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विभिन्न राज्यों की राजग सरकारों द्वारा अपनाए गए सर्वोत्तम तरीकों पर केंद्रित था।
इसमें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के एक दशक और आपात काल की 50वीं बरसी पर भी चर्चा की गई।
गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों द्वारा बड़ी संख्या में नक्सलियों के मारे जाने के बीच नक्सलवाद को खत्म करने से जुड़े सरकार के अभियान की जानकारी दी।
छत्तीसगढ़ में कभी माओवादियों के गढ़ रहे बस्तर, असम में बाल विवाह के खिलाफ अभियान, बिहार के जल जीवन हरियाली अभियान, गुजरात के सौर बिजली अभियान और मेघालय की जवाबदेह शासन योजना पर प्रस्तुतियां दी गईं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के बारे में बात की और बताया कि किस तरह उनकी सरकार ने इसके क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर किया।
बैठक में 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी गई। नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ‘अमृत सरोवर’ निर्माण जैसे जल संरक्षण कार्यक्रमों और स्वच्छता अभियान को एक बार के कदम के रूप में नहीं बल्कि अनवरत चलने वाले अभियान के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
भाषा संतोष