नये माता-पिता बने दंपति को अपने बच्चे की नींद के बारे में पांच बातें जाननी चाहिए
द कन्वरसेशन रवि कांत रवि कांत माधव
- 31 May 2025, 05:20 PM
- Updated: 05:20 PM
(हेलेन एल. बॉल, डरहम विश्वविद्यालय)
डरहम (ब्रिटेन), 31 मई (द कन्वरसेशन) मेरा बच्चा रात को क्यों नहीं सोता? यह सबसे सामान्य और थका देने वाले सवालों में से एक है, जो नये-नये माता-पिता बने दंपति पूछते हैं।
आपने उन्हें खाना खिलाया, उनके कपड़े बदले, उन्हें झुलाया, उन्हें दुलारा, लेकिन इसके बावजूद वे फिर से जाग जाते हैं। और एक बार फिर से, और फिर से।
नवजात शिशु पूरी तरह से असहाय पैदा होते हैं - चलने, पकड़ने या अपने स्वयं के तंत्र को नियंत्रित करने में वे असमर्थ होते हैं।
शुरू से ही, वे जैविक रूप से देखभाल करने वाले के करीब रहने के लिए तैयार होते हैं तथा गर्मी, सुरक्षा, भोजन और आश्वासन के लिए आपके शरीर पर निर्भर रहते हैं।
शिशुओं की नींद, भोजन और जागने की आदतें अव्यवस्थित नहीं हैं - वे जीवित रहने के लिए डिजाइन की गई हैं।
मेरी नवीनतम पुस्तक आपको अपने बच्चे के प्रथम वर्ष के दौरान उसकी नींद के बारे में सब कुछ बताती है। लेकिन, यहां संक्षेप में बताया गया है कि शिशु की नींद के साथ वास्तव में क्या हो रहा है। क्यों 'रात भर सोना' अक्सर एक मिथक माना जाता है और कैसे अपने बच्चे की नैसर्गिंक जैविक स्थिति के साथ काम करना, आपको अधिक आराम करने और कम तनाव महसूस करने में मदद कर सकता है।
आइये देखें कि विज्ञान (और विकास) हमें नवजात शिशु की नींद के बारे में क्या बताता है।
1. आराम और शांति---
जन्म से ही देखने, सुनने और आवाज करने में सक्षम अन्य स्तनधारी प्राणियों के शिशुओं के विपरीत मनुष्यों के शिशुओं में मांसपेशियों की कोई ताकत नहीं होती और न ही उनके अंगों पर उनका कोई नियंत्रण होता है।
वे आपसे चिपक नहीं सकते या आपका अनुसरण नहीं कर सकते, तथा वे खुद को सुरक्षित, गर्म और भोजन के लिए पूरी तरह से अपने माता-पिता पर ही निर्भर होते हैं।
वास्तव में अधिकांश बच्चे आराम, गर्म रखने और सुरक्षा के लिए आपके शरीर के साथ शारीरिक संपर्क में रहना चाहते हैं।
उन्हें अपने सीने से चिपका कर सुलाना उन्हें शांत करने का एक अच्छा तरीका है, और आपकी छाती पर ही वह स्थान होता है जहां कई नवजात शिशु जन्म के तुरंत बाद से सोना चाहते हैं।
नये माता-पिता बनने के बाद पहले कुछ सप्ताहों या महीनों में अपने शिशु को अपनी छाती से लगाकर उसके साथ समय बिताना आम बात है, और इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
सुनिश्चित करें कि आप सीधे बैठे हों या पीछे की ओर झुके हुए हों, ताकि आपके शिशु का सिर उसके नितंब से ऊंचा हो।
अपने शिशु को क्षैतिज स्थिति में रखकर पीठ के बल न लेटें। इस स्थिति में शिशु को सांस लेने में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है।
यह सुनिश्चित करें कि आपके शिशु का सिर एक तरफ मुड़ा हुआ हो और उनकी ठोड़ी ऊपर की ओर झुकी हुई हो। यह उनकी सांस की नली को खुला रखने के लिए महत्वपूर्ण है - अगर उनकी ठोड़ी उनकी छाती पर होगी तो यह मुड़ सकती है और हवा उनके फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाएगी।
शिशु को अपने शरीर पर स्थिर रखना सुनिश्चित करें। यह न सोचें कि वे फिसलेंगे नहीं, गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव शिशुओं पर भी पड़ता है।
अंत में, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात, जागते रहें। इस स्थिति में खुद को सोने न दें। छोटे बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और जब वे आपके ऊपर लेटे हों, तो आपको उनकी सुरक्षा पर नजर रखनी चाहिए।
2. सुरक्षित बिस्तर साझा करना---
यदि आपका शिशु स्तनपान कर रहा है तो वह दिन-रात बार-बार, प्रायः हर दो घंटे में, दूध पीयेगा। अगर आपको हर बार दूध पिलाने के लिए बिस्तर से उठना-उतरना पड़ता है तो इससे निपटना मुश्किल हो सकता है।
स्तनपान कराने वाली कई माताओं को रात के कुछ या पूरे समय के लिए अपने बिस्तर को साझा करने से रात के समय दूध पिलाने में होने वाली बाधा को कम करने में मदद मिलती है, क्योंकि आप लेटकर दूध पिला सकती हैं तथा आप और आपका शिशु दोनों जल्दी सो सकते हैं।
यदि आप बिस्तर साझा करने का निर्णय लेते हैं तो जानें कि अपने बच्चे के लिए अपने बिस्तर को यथासंभव सुरक्षित कैसे बनाएं। लुलबी ट्रस्ट, यूनिसेफ बेबी फ्रेंडली इनिशिएटिव और ला लेचे लीग सभी के पास बिस्तर साझा करने की सुरक्षा के बारे में अच्छी जानकारी है।
3. सर्केडियन चक्र---
नवजात शिशुओं में दिन-रात की कोई लय नहीं होती। गर्भाशय में वे अपनी मां के सर्कैडियन चक्र के प्रभाव में होते हैं।
जन्म के बाद, उनकी दिन-रात की लय बनने में कई महीने लग जाते हैं, और शुरुआत में वे दिन और रात में समान रूप से सोते हैं।
दिन के पहले पहर में बच्चों को दिन के उजाले में बाहर ले जाने से उनकी शारीरिक घड़ी को दिन और रात के उजाले के अनुकूल बनाने में मदद मिलती है।
4. अधिक समय तक सोना---
समय के साथ सभी बच्चे रात में थोड़ा ज्यादा समय सोने लगते हैं। इसे रात के समय में नींद का समेकन कहा जाता है, और बच्चे बड़े होने पर दूध पिलाने के बीच ज्यादा समय तक सोने लगते हैं। लेकिन बच्चे अक्सर अपने पहले वर्ष के दूसरे छह महीने में भी रात में जागते रहते हैं
न्यूजीलैंड में किए गए एक शोध अध्ययन में शामिल एक तिहाई बच्चे 12 महीने की उम्र तक कभी पूरी रात नहीं सोए थे।
5. नींद का समेकन---
जैसे-जैसे बच्चे अपनी नींद का अधिकतर हिस्सा रात में ही पूरा करने लगेंगे, वे दिन में कम सोने लगेंगे।
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