कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को भगदड़ मामले में स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया
जोहेब प्रशांत
- 05 Jun 2025, 05:51 PM
- Updated: 05:51 PM
बेंगलुरु, पांच जून (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यहां क्रिकेट स्टेडियम के बाहर भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोगों के घायल होने के मामले में बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लेने के बाद राज्य को नोटिस जारी करके 10 जून तक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की पीठ ने अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस मामले को स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के रूप में देखे।
आईपीएल के फाइनल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत के बाद चार जून को यहां जश्न के दौरान मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 56 अन्य लोग घायल हो गए।
जब मामला खंडपीठ के समक्ष आया, तो महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कहा कि स्टेडियम में मुफ्त प्रवेश की घोषणा के कारण गेट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे भगदड़ मच गई।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले को नकारात्मक रवैये से नहीं देखना चाहती।
शेट्टी ने कहा, "दोषारोपण सही नहीं है। हमारा उद्देश्य यह समझना है कि क्या गलत हुआ और यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।"
आरसीबी की इंडियन प्रिमियर लीग (आईपीएल) खिताबी जीत के बाद शहर में जश्न के दौरान पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती का जिक्र करते हुए शेट्टी ने कहा कि चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर स्थिति अराजक हो गई थी। उन्होंने कहा कि स्टेडियम और उसके आसपास 2.5 लाख से अधिक लोग इकट्ठा हो गए थे, जबकि इसकी क्षमता लगभग 30,000 है।
उन्होंने बताया, "लोगों को स्टेडियम के अंदर भारी भीड़ होने का अंदाजा नहीं था।”
पीठ ने कहा कि बड़े सार्वजनिक आयोजनों के लिए स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन किया जाना चाहिए था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "घटनास्थल पर एम्बुलेंस उपलब्ध होनी चाहिए थी, और निकटतम अस्पतालों के बारे में स्पष्टता होनी चाहिए थी।"
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, महाधिवक्ता ने कहा कि एम्बुलेंस वास्तव में मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि वे इस पैमाने की आपात स्थिति के लिए पर्याप्त नहीं थीं।
उन्होंने कहा, "मुद्दा उनकी अनुपस्थिति नहीं, बल्कि संख्या का था।"
महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि मजिस्ट्रेट जांच पहले ही शुरू हो चुकी है और यह 15 दिन में पूरी हो जाएगी। कुल 21 में से तीन विशिष्ट गेटों पर सभी 11 लोगों की मौत हुई है और 56 लोग भी यहीं घायल हुए हैं।
राज्य सरकार इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रही है और इवेंट मैनेजमेंट एजेंसी समेत सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है।
उन्होंने अदालत से कहा, "हम संभावित चूक की जांच कर रहे हैं। किसी को भी बख्शा नहीं जा रहा है।"
शेट्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले सार्वजनिक बयान में पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने की बात कही।
उन्होंने कहा, "इस त्रासदी के लिए एसओपी की समीक्षा की आवश्यकता है। हम भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सार्वजनिक और अदालत के सुझावों पर अमल करेंगे।”
शेट्टी ने कहा कि जांच अधिकारी ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है, जिसमें प्रासंगिक जानकारी या सबूत रखने वाले किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित किया गया है।
उन्होंने आश्वासन दिया, "गवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और उसे अदालत में पेश किया जाएगा। इसमें पूरी पारदर्शिता है, कुछ भी छिपाया नहीं जा रहा है।"
जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता लोहित ने अदालत को बताया कि लोग चार खास बिंदुओं पर जवाब चाहते हैं।
उन्होंने सवाल किया कि सम्मान समारोह की मंजूरी किसने दी? क्या कर्नाटक सरकार या राज्य क्रिकेट संघ ने ऐसा किया? राज्य या देश का प्रतिनिधित्व न करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने में सरकार की क्या जिम्मेदारी है? साथ ही विधान सौध और चिन्नास्वामी स्टेडियम में अलग-अलग समारोह क्यों आयोजित किए गए? और भीड़ नियंत्रण व सुरक्षा के क्या इंतजाम किए गए थे?
जनहित याचिकाकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता जी.आर. मोहन ने बताया कि निःशुल्क प्रवेश की घोषणा आईपीएल फ्रैंचाइज के प्रतिनिधि द्वारा की गई थी।
उन्होंने कहा कि भारी भीड़ के बावजूद, केवल तीन गेट ही खुले रखे गए, जिससे अड़चनें और अव्यवस्था पैदा हो गई।
वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणा श्याम ने न्यायालय से निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त करने पर विचार करने का आग्रह किया। सुनवाई के अंत में पीठ ने कहा कि वह अपने आदेश में स्थिति रिपोर्ट में आवश्यक विवरण निर्दिष्ट करेगी।
मामले को आगे की सुनवाई 10 जून को तय की गई है।
भाषा जोहेब