बेंगलुरु भगदड़: केएससीए अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक रोक
पारुल सुरेश
- 06 Jun 2025, 07:47 PM
- Updated: 07:47 PM
बेंगलुरु, छह जून (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्थानीय चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास मची भगदड़ के सिलसिले में कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) के प्रमुख पदाधिकारियों को शुक्रवार को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान कर दी।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में क्रिकेट प्रेमियों के जुटने के बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास बुधवार शाम मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हो गए थे।
न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की पीठ ने केएससीए पदाधिकारियों (अध्यक्ष रघुराम भट, सचिव ए शंकर और कोषाध्यक्ष ईएस जयराम) के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।
पीठ ने पुलिस को केएससीए पदाधिकारियों के खिलाफ अगली सुनवाई तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्देश दिया। उसने याचिकाकर्ताओं से मामले की जांच में पूरा सहयोग करने को कहा।
प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर अगली सुनवाई 16 जून को होगी।
पीठ ने कहा, “अगली सुनवाई तक कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के प्रदाधिकारियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, बशर्ते वे जांच में सहयोग करें।”
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक हरनहल्ली और श्याम सुंदर पेश हुए, जबकि राज्य सरकार की पैरवी महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने की।
शेट्टी ने स्पष्ट किया कि पुलिस की तत्काल किसी को गिरफ्तार करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने मामले की जांच जारी रखने की अनुमति मांगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने आरसीबी के मार्केटिंग एवं राजस्व प्रमुख निखिल सोसले की हालिया गिरफ्तारी पर चिंता जताई और दावा किया कि यह लक्षित कार्रवाई का संकेत है।
जवाबी दलील में शेट्टी ने कहा कि सोसले को कथित तौर पर दुबई भागने की कोशिश करते समय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
केएससीए अध्यक्ष रघुराम भट, सचिव ए शंकर, कोषाध्यक्ष ईएस जयराम और संघ के प्रबंधन की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई है कि पुलिस ने राज्य सरकार के दबाव में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ “त्वरित कार्रवाई” करते हुए प्राथिमकी दर्ज की, जो घटना के बाद लोगों की आलोचनाओं और मीडिया के सवालों का सामना कर रही थी।
याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता संघ या उसके पदाधिकारियों को किसी भी गलत चीज के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। संवेदना दिखाते हुए स्वतंत्र रूप से मुआवजे की पेशकश करने के बावजूद केएससीए और उसके सदस्यों को अनुचित रूप से मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।”
इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता उच्च प्रतिष्ठा वाले पेशेवर हैं, जिनमें चार्टर्ड अकाउंटेंट और नामित वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस की कार्रवाई गिरफ्तारी के संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की ओर से सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी से प्रेरित है।
भगदड़ मामले में आरसीबी और निखिल सोसले की ओर से दायर याचिका भी शुक्रवार को उच्च न्यायालय के समक्ष आई। हालांकि, अदालत ने इस पर कोई भी आदेश पारित किए बिना सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी।
बेंगलुरु भगदड़ मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जॉन माइकल डी कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है।
उच्च न्यायालय ने भी घटना का स्वतः संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से वस्तुस्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई 10 जून को होनी है।
भाषा पारुल