उच्च न्यायालय ने मुंबई उपनगरीय रेल नेटवर्क पर हादसों में यात्रियों की मौत पर चिंता जतायी
राजकुमार दिलीप
- 20 Jun 2025, 04:02 PM
- Updated: 04:02 PM
मुंबई,20 जून (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मुंबई की लोकल ट्रेन में यात्रियों की मौत पर चिंता व्यक्त की और स्थिति को "चिंताजनक" बताया। अदालत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कुछ दिन पहले ही एक खचाखच भरी उपनगरीय ट्रेन से गिरकर पांच लोगों की मौत हो गई थी।
उच्च न्यायालय ने यात्रियों के गिरने की घटनाओं को रोकने के लिए मुंबई की उपनगरीय ट्रेन में स्वचालित तरीके से दरवाजा बंद होने की व्यवस्था करने का सुझाव दिया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यह सलाह पूरी तरह से ‘‘आम आदमी’’ के नजरिए से दी गई है और इस मुद्दे पर रेलवे के विशेषज्ञों की राय की आवश्यक है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने रेल प्रशासन से अपील की कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए कि भविष्य में मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर दुखद घटनाएं न हों।
रेलवे के हलफनामे का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि अकेले 2024 में लोकल ट्रेन में (उपनगरीय नेटवर्क पर विभिन्न दुर्घटनाओं के कारण) 3,588 से अधिक मौतें हुईं, जिसका मतलब है कि औसतन हर दिन दस मुंबईवासी मरते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘यह चिंताजनक स्थिति है। हालांकि, आपने यह दर्शाया है कि (पिछले वर्षों की तुलना में) हताहतों की संख्या में 49 प्रतिशत की कमी आई है।’’
पीठ ने मुंबई के उपनगरीय नेटवर्क पर दुर्घटनाओं में यात्रियों की मौत से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। उपगरीय रेल नेटवर्क को ‘शहर की जीवन रेखा’ माना जाता है।
नौ जून की घटना का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा किए गए उपाय पर्याप्त नहीं हैं।
ठाणे जिले में नौ जून को मुंब्रा स्टेशन के पास खचाखच भरी उपनगरीय ट्रेन से गिरकर पांच यात्रियों की मौत हो गई थे और आठ अन्य घायल हो गए थे।
रेलवे ने पीठ को बताया कि उसने मुंब्रा में हुई घटना के कारणों की जांच के लिए एक बहु-विषयक समिति गठित की है और उसकी रिपोर्ट का इंतजार है।
उसने कहा कि यह समिति भविष्य में ऐसी अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए सिफारिशें और सुझाव देगी।
अदालत ने रेलवे को निर्देश दिया कि वह समिति द्वारा दिए गए सुझावों को रिकॉर्ड पर पेश करे और उनके क्रियान्वयन की समयसीमा भी बताए।
मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।
भाषा
राजकुमार