आरबीआई गवर्नर ने नीतिगत दर में बड़ी कटौती से वृद्धि को समर्थन की उम्मीद जताईः एमपीसी बैठक ब्योरा
प्रेम प्रेम रमण
- 20 Jun 2025, 08:21 PM
- Updated: 08:21 PM
मुंबई, 20 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हाल की बैठक में कहा था कि नीतिगत दर में एक बार में बड़ी कटौती से आर्थिक गतिविधियों में शामिल इकाइयों को स्पष्ट संकेत और कुछ निश्चितता मिलेगी कि केंद्रीय बैंक वैश्विक तनाव के बीच वृद्धि का समर्थन कर रहा है।
एमपीसी की चार से छह जून को हुई बैठक के शुक्रवार को जारी ब्योरे से यह जानकारी सामने आई है।
एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती करने का फैसला किया था। इस तरह रेपो दर में इस साल फरवरी से लेकर अबतक कुल कटौती बढ़कर एक प्रतिशत हो गई है।
इसके अलावा आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख को भी 'उदार' से संशोधित कर 'तटस्थ' करने का फैसला किया था।
समिति के छह में से पांच सदस्यों ने रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती के पक्ष में मत दिया जबकि बाहरी सदस्य सौगत भट्टाचार्य ने 0.25 प्रतिशत की कटौती का सुझाव दिया था।
बैठक के ब्योरे के मुताबिक, एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक में मल्होत्रा ने कहा था, "उम्मीद की जाती है कि अग्रिम दर कार्रवाई के साथ नकदी के मोर्चे पर निश्चितता होने से आर्थिक गतिविधियों में शामिल इकाइयों को एक स्पष्ट संकेत मिलेगा, जो उधार की कम लागत के जरिये उपभोग और निवेश को बढ़ावा देगा।"
आरबीआई गवर्नर का मौद्रिक रुख में बदलाव को लेकर मानना था कि मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ करने से उभरती घरेलू और वैश्विक आर्थिक स्थितियों के जवाब में 'नीति दर में कटौती, रोक या वृद्धि' के लिए जरूरी लचीलापन मिलेगा।
मल्होत्रा ने कहा, "उपायों का यह पैकेज अनिश्चितता के समय में कुछ निश्चितता प्रदान करेगा और इससे वृद्धि को समर्थन मिलने की उम्मीद है।"
एमपीसी में आरबीआई के तीन अधिकारी- गवर्नर मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता एवं कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन के अलावा सरकार द्वारा नियुक्त तीन नामित सदस्य - नागेश कुमार, सौगत भट्टाचार्य और राम सिंह शामिल हैं।
ब्योरे के मुताबिक, डिप्टी गवर्नर गुप्ता का मत था कि रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती से नीतिगत निश्चितता आएगी और दरों में सीमित कटौती की तुलना में इसका प्रभाव तेजी से फैलेगा। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था से उत्पन्न चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सकेगा।
गुप्ता ने मौद्रिक रुख में बदलाव को उदार से तटस्थ करने का भी समर्थन करते हुए कहा, "इसका मतलब है कि आगे की कोई भी कार्रवाई आने वाले आंकड़ों और उभरती वैश्विक अनिश्चितताओं पर निर्भर होनी चाहिए।"
रंजन ने भी मुद्रास्फीति, वृद्धि, प्रसार, वैश्विक हालात और संकेत देने एवं निश्चितता प्रदान करने के दृष्टिकोण से 0.50 प्रतिशत कटौती का समर्थन किया था।
एमपीसी में नामित सदस्य राम सिंह ने कहा कि घरेलू स्तर पर वृद्धि और खाद्य मुद्रास्फीति के बारे में अनिश्चितता के उच्च स्तर को देखते हुए दरों में कटौती में सावधानी बरतनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर नीतिगत दर में आधा प्रतिशत कटौती को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाता है तो मांग एवं निवेश के निर्णयों पर अमल में और देरी हो सकती है।
वहीं, रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की वकालत करने वाले भट्टाचार्य ने कहा कि मौजूदा अनिश्चितताओं को पहचानते हुए, इस समय नीतिगत सहजता में एक सोची-समझी और सतर्क प्रगति अधिक उपयुक्त है। हालांकि वह भी मौद्रिक रुख को उदार से तटस्थ किए जाने की राय से सहमत थे।
नागेश कुमार ने बैठक में कहा कि नीतिगत दर में कटौती की दोहरी खुराक से उधार दरों में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है, जिससे टिकाऊ वस्तुओं के निवेश और खपत को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
एमपीसी की अगली बैठक चार से छह अगस्त को होगी।
भाषा प्रेम प्रेम