भारत माता के चित्र को लेकर विवाद: माकपा के मुखपत्र में केरल के राज्यपाल की आलोचना की
योगेश रंजन
- 21 Jun 2025, 03:43 PM
- Updated: 03:43 PM
तिरुवनंतपुरम, 21 जून (भाषा) सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के आधिकारिक मुखपत्र देशाभिमानी में शनिवार को भारत माता चित्र विवाद को लेकर केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की कड़ी आलोचना की गई।
मुखपत्र के संपादकीय में कहा गया कि राजभवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कोई शाखा नहीं है।
यह संपादकीय राजभवन में आयोजित होने वाले आधिकारिक समारोहों के दौरान 'भारत माता के चित्र' के इस्तेमाल को लेकर आर्लेकर और माकपा के नेतृत्व वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार के मध्य जारी खींचतान के बीच आया है।
राजभवन द्वारा शनिवार को जारी तस्वीरों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने भारत माता के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।
मुखपत्र में राज्यपाल पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने राजभवन को आरएसएस विचारधारा के प्रदर्शन और प्रचार का स्थल बनाकर देश के संविधान को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है।
मुखपत्र में पूछा गया कि इस कृत्य को संवैधानिक मानदंडों का घोर उल्लंघन के अलावा और क्या कहा जा सकता है।
संपादकीय में माकपा के वरिष्ठ नेता और सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी की भी प्रशंसा की गई।
शिवनकुट्टी ने हाल ही में भारत माता के चित्र के प्रदर्शन के विरोध में राजभवन में एक कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।
संपादकीय में यह भी कहा गया कि जैसा मंत्री ने कहा है, "संविधान देश की रीढ़ है और राष्ट्र की कोई भी वैकल्पिक अवधारणा इससे ऊपर नहीं हो सकती।"
संपादकीय में आगे कहा गया, "राज्यपाल और उनके सहयोगियों को यह समझना चाहिए कि राजभवन आरएसएस की शाखा नहीं है। राज्य की धर्मनिरपेक्ष सोच इस राष्ट्र की उस परिकल्पना को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, जिसे आरएसएस प्रस्तुत करता है। शिवनकुट्टी ने जो कहा है उसका यही अर्थ है।"
संपादकीय में यह भी याद दिलाया गया कि यह पहला अवसर नहीं है जब राजभवन ने किसी आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान हाथों में भगवा ध्वज थामे एक महिला की तस्वीर प्रदर्शित कर उकसाने वाला कदम उठाया हो।
इसमें कहा गया है कि कृषि मंत्री पी प्रसाद ने भी इसी चित्र के प्रदर्शन के विरोध में हाल ही में एक समारोह का बहिष्कार किया था।
मुखपत्र में कहा गया है कि आज देश में ऐसा माहौल बन गया है जहां धर्म का राजनीति में और राजनीति का धर्म में हस्तक्षेप सामान्य और स्वाभाविक माना जाने लगा है।
संपादकीय में कहा गया, "हाथ में भगवा ध्वज थामे महिला के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करना इसी प्रवृत्ति की निरंतरता है।"
इसके साथ ही यह आरोप भी लगाया गया कि इस कृत्य का उद्देश्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा प्रचारित हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को साकार करने के अभियान को और तेज करना है।
माकपा के मुखपत्र में कहा गया है कि मजबूत धर्मनिरपेक्ष राजनीति को कायम रखकर इस खतरे को रोका जाना चाहिए।
इस बीच, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने शनिवार को यहां संस्कृत कॉलेज के सामने एक बैनर लगाया, जिसमें कहा गया कि राजभवन आरएसएस की संपत्ति नहीं है। यह कॉलेज केरल विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता है।
बैनर पर लिखा था, "राज्यपाल महोदय, हम एक बार फिर कुछ कहना चाहते हैं... राजभवन आरएसएस की पैतृक संपत्ति नहीं है।"
भाषा योगेश