ईरान-इजराइल युद्ध बढ़ने से पश्चिम एशिया के साथ भारत का व्यापार होगा प्रभावित: विशेषज्ञ
अजय अनुराग
- 22 Jun 2025, 03:24 PM
- Updated: 03:24 PM
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के और बढ़ने से इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन सहित पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।
उन्होंने कहा कि युद्ध ने पहले ही ईरान और इजरायल को भारत के निर्यात को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
अमेरिका ने रविवार को तड़के ईरान के तीन स्थलों पर हमला किया, जिससे वह इजरायल के युद्ध में शामिल हो गया। उसका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करना है, ताकि एक पुराने दुश्मन को कमजोर किया जा सके, जिससे व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका पैदा हो गई है, क्योंकि ईरान ने अमेरिका पर ‘खतरनाक युद्ध’ शुरू करने का आरोप लगाया है।
मुंबई स्थित निर्यातक और टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज इंडिया के संस्थापक चेयरमैन शरद कुमार सराफ ने कहा, “इस युद्ध के कारण अब हम बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं। इसका पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर व्यापक असर पड़ेगा।”
सराफ ने कहा कि उनकी कंपनी भी इन दोनों देशों को भेजी जाने वाली खेप रोक रही है। टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज ड्रम क्लोजर, नायलॉन और प्लास्टिक प्लग, कैपसील क्लोजर और क्लैंप बनाती है।
एक अन्य निर्यातक ने कहा कि भारतीय व्यापारी समुदाय पहले से ही इजरायल-हमास संघर्ष और लाल सागर में माल ढुलाई जहाजों पर यमन समर्थित हूतियों के हमले के प्रभाव से जूझ रहा है। इसके कारण, भारत से माल ढुलाई लाइन अफ्रीकी महाद्वीप को घेरने वाले ‘केप ऑफ गुड होप’ से खेप ले रही हैं।
अब, ईरान-इज़राइल युद्ध के कारण, एक और प्रमुख व्यापारिक मार्ग - होर्मुज जलडमरूमध्य प्रभावित हो रहा है।
सराफ ने कहा, “यह मार्ग तेल टैंकर की आवाजाही को प्रभावित करेगा। मुझे लगता है कि तेल टैंकर नए मार्ग खोज लेंगे, लेकिन इससे कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी। इसका महंगाई पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें अन्य उत्पादों के दाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।’’
शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि व्यापक क्षेत्रीय तनाव से इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन सहित व्यापक पश्चिम एशियाई क्षेत्र के साथ भारत के बड़े व्यापार को खतरा हो सकता है, जहां भारतीय निर्यात कुल 8.6 अरब डॉलर और आयात 33.1 अरब डॉलर है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “इस गलियारे में माल ढुलाई लेन, बंदरगाह तक पहुंच या वित्तीय प्रणालियों में कोई भी व्यवधान भारत के व्यापार प्रवाह को बुरी तरह प्रभावित करेगा, माल ढुलाई और बीमा लागत में वृद्धि करेगा, और भारतीय व्यवसायों के लिए नए आपूर्ति शृंखला जोखिम पैदा करेगा।”
पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में ईरान को भारत का निर्यात 1.24 अरब डॉलर रहा, जिसमें बासमती चावल (75.32 करोड़ डॉलर), केला (5.32 करोड़ डॉलर), सोया मील (7.06 करोड़ डॉलर), बंगाल चना (2.79 करोड़ डॉलर) और चाय (2.55 करोड़ डॉलर) शामिल हैं। पिछले वित्त वर्ष में आयात 441.8 अरब डॉलर रहा था।
वित्त वर्ष 2024-25 में इजरायल के साथ भारत का निर्यात 2.1 अरब डॉलर और आयात 1.6 अरब डॉलर रहा।
उन्होंने कहा कि ईरान पर चल रहे अमेरिका-इज़राइल हमले और व्यापक संघर्ष के खतरे से इस व्यापार में काफी बाधा आ सकती है।
भाषा अजय अनुराग