संसदीय समिति न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता पर चर्चा करेगी
नेत्रपाल दिलीप
- 22 Jun 2025, 09:08 PM
- Updated: 09:08 PM
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) संसद की एक समिति उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता पर चर्चा करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
न्यायमूर्ति वर्मा राष्ट्रीय राजधानी स्थित अपने आवास से बेहिसाबी नकदी की बरामदगी के कारण जांच के घेरे में हैं।
संसद की कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति मंगलवार को होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करेगी तथा न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्तियों पर भी विचार-विमर्श करेगी।
समिति सचिवालय द्वारा भेजे गए एक नोटिस में समिति के सदस्यों को अवगत कराया गया, ‘‘समिति उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता और सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों के पद ग्रहण करने के मुद्दों से संबंधित ‘न्यायिक प्रक्रियाएं और उनके सुधार’ विषय पर न्याय विभाग के सचिव से बात करेगी।’’
राज्यसभा की इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजलाल हैं और इसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (जो एक मनोनीत सांसद हैं), पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर राय और कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के विवेक तन्खा और द्रमुक के पी विल्सन तथा ए राजा इसके प्रमुख सदस्य हैं।
जहां न्यायमूर्ति वर्मा पर महाभियोग चलाए जाने की संभावना है, वहीं विपक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई के लिए पहले ही नोटिस दे चुका है।
नकदी बरामद होने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा को उनकी मूल अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया गया। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है।
राज्यसभा सचिवालय उन सांसदों के हस्ताक्षरों का भी सत्यापन कर रहा है, जिन्होंने न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ कथित नफरती भाषण को लेकर महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे।
सचिवालय पहले ही सांसदों को उनके हस्ताक्षरों की पुष्टि के लिए पत्र लिख चुका है।
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