ईरान पर अमेरिका के हमलों के बाद विभिन्न देशों ने किया मामले के कूटनीतिक समाधान का आह्वान
एपी राजकुमार शफीक
- 22 Jun 2025, 11:01 PM
- Updated: 11:01 PM
दुबई, 22 जून (एपी) ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद व्यापक संघर्ष की आशंका की पृष्ठभूमि में अमेरिका के कई करीबी देशों ने वार्ता की मेज पर लौटने की अपील की है और तेहरान के परमाणु कार्यक्रम से खतरा होने का भी जिक्र किया है।
कुछ देशों और संगठनों ने इस कदम की निंदा की तथा तनाव कम करने की भी अपील की। उनमें ऐसे देश एवं संगठन हैं जो ईरान का समर्थन करते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह ईरान के खिलाफ युद्ध में इजराइल का साथ देने के बारे में दो सप्ताह में फैसला करेंगे। लेकिन महज दो दिन में अमेरिका ने इजराइल के अभियान में शामिल होते हुए रविवार तड़के तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर हमला कर दिया।
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी हमलों से ईरान को कितना नुकसान पहुंचा है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि अमेरिका ने “एक लक्ष्मण रेखा पार कर ली है”, कूटनीति का समय समाप्त हो गया है और ईरान को अपनी रक्षा करने का अधिकार है।
कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या कमज़ोर ईरान झुक जाएगा या विरोधी रुख बरकरार रखेगा और खाड़ी क्षेत्र में फैले अमेरिकी ठिकानों पर सहयोगियों के साथ हमला करना शुरू कर देगा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि वह ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के बम हमलों से बेहद चिंतित हैं।
गुतारेस ने ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, ‘‘इस बात का जोखिम है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर जा सकता है जिसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा,‘‘मैं सदस्य देशों से तनाव कम करने की अपील करता हूं। इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है, कूटनीति से ही कोई हल निकल सकता है।’’
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने इस संघर्ष के पश्चिम एशिया के पार फैलने के प्रति चेतावनी जारी की। उन्होंने संकट का कूटनीतिक रूप से समाधान करने के लिए ईरान से वार्ता की मेज पर लौटने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि अस्थिर क्षेत्र में स्थिरता लाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
पिछले सप्ताह ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ, फ्रांस और जर्मनी संग जिनेवा में ईरान के साथ कूटनीतिक समाधान निकालने का प्रयास किया था, जो सफल नहीं हो सका।
स्टार्मर ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ईरान को कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और अमेरिका ने उस खतरे को कम करने के लिए कार्रवाई की है।’’
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि कई देश तेहरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ये देश कौन से हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी हमले से बहुत कम नुकसान हुआ है और इससे तेहरान को परमाणु हथियार बनाने से नहीं रोका जा सकेगा।
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह हवाई हमलों की “कड़ी निंदा” करता है। उसने इसे “अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन” बताया।
इराक सरकार ने अमेरिकी हमलों की निंदा करते हुए कहा कि सैन्य कार्रवाई से पश्चिम एशिया में शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
उसने कहा कि इससे क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर खतरा है और संकट को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों का आह्वान किया।
सऊदी अरब, जिसने पहले ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों और सैन्य नेताओं पर इजराइल के हमलों की निंदा की थी, ने अमेरिकी हवाई हमलों के बारे में “गहरी चिंता” व्यक्त की, लेकिन उसकी निंदा करने से परहेज किया।
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने कहा कि अमेरिकी बमबारी से क्षेत्रीय संघर्ष भड़क सकता है, जिसे कोई भी देश झेल नहीं सकता। उन्होंने बातचीत का आह्वान किया।
औन ने ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, ‘‘लेबनान, इसके नेता, पार्टियां और लोग आज पहले से कहीं ज़्यादा इस बात से अवगत हैं कि इस देश ने अपनी जमीन और क्षेत्र में छिड़े युद्धों की भारी कीमत चुकाई है।’’
लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ सलाम ने कहा कि संघर्ष पूरे क्षेत्र में फैलने पर उनके देश को इससे दूर रहने की जरूरत है।
सलाम ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारे लिए सर्वोच्च राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखना सबसे महत्वपूर्ण है। लेबनान को किसी भी तरह के क्षेत्रीय टकराव में शामिल होने से बचाने की जरूरत है।’’
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने रविवार को “सभी पक्षों से वार्ता की मेज पर लौटने’’ का आह्वान किया।
उन्होंने संवाददाताओं को यह नहीं बताया कि न्यूजीलैंड राष्ट्रपति ट्रंप की कार्रवाई का समर्थन करता है या नहीं।
पीटर्स ने कहा कि यह संकट, ‘‘अब तक का सबसे गंभीर संकट है और इसे आगे बढ़ने से रोका जाए।’’
उन्होंने कहा, “कूटनीति सैन्य कार्रवाई की तुलना में अधिक स्थायी समाधान प्रदान करेगी।”
यमन के हूती विद्रोहियों और हमास दोनों ने अमेरिकी हमलों की निंदा की है। हूतियों ने “इजराइली और अमेरिकी आक्रामकता” के खिलाफ लड़ाई में ईरान का समर्थन करने का संकल्प जताया है।
रविवार को एक बयान में, हूती विद्रोहियों के राजनीतिक ब्यूरो ने मुस्लिम देशों से “इजराइली-अमेरिकी अहंकार के खिलाफ एक मोर्चे के रूप में जिहाद एवं प्रतिरोध” में शामिल होने का आह्वान किया।
हमास और हूती ईरान के समर्थक रहे हैं।
चीन की सरकारी मीडिया ने सवाल किया कि क्या अमेरिका ईरान में वही गलती दोहरा रहा है, जो उसने इराक में की थी।
चीन के सरकारी प्रसारक की विदेशी भाषा शाखा ‘सीजीटीएन’ के ऑनलाइन लेख में कहा गया है कि अमेरिकी हमले एक खतरनाक मोड़ का परिचायक हैं।
लेख में 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण का हवाला देते हुए कहा गया है, “इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि पश्चिम एशिया में सैन्य हस्तक्षेप के अक्सर अनपेक्षित परिणाम होते हैं, जिसके तहत लंबे समय तक संघर्ष चलता रहा और क्षेत्रीय अस्थिरता बनी रही।”
लेख में कहा गया है कि सैन्य टकराव के बजाय वार्ता को प्राथमिकता देने वाला एक संतुलित कूटनीतिक दृष्टिकोण पश्चिम एशिया में स्थिरता की सबसे अच्छी उम्मीदें पैदा कर सकता है।
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि स्थिति को जल्द से जल्द शांत करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से भी रोका जाना चाहिए।
इशिबा से जब पूछा गया कि क्या वह ईरान पर अमेरिकी हमलों का समर्थन करते हैं, तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
वह अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के बाद प्रमुख मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ एक आपातकालीन बैठक के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि उसने रविवार को एक आपातकालीन बैठक की, जिसमें अमेरिकी हमलों के संभावित सुरक्षा एवं आर्थिक परिणामों पर चर्चा हुई।
शुक्रवार को तेहरान में अपने दूतावास को बंद करने और कर्मचारियों को वापस लाने वाले ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर संघर्ष को कूटनीतिक रूप से समाप्त करने पर जोर दिया है।
एक सरकारी अधिकारी ने लिखित बयान में कहा, “हम स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि ईरान का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा रहा है। ”
बयान में कहा गया है, “क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति अत्यधिक अस्थिर है। हम एक बार फिर तनाव कम करने, संवाद एवं कूटनीति का मार्ग अपनाने का आह्वान करते हैं।”
एपी राजकुमार