उत्तराखंड में बंधक बनाए गए नेपाल के 35 युवकों को मुक्त कराया गया, तीन आरोपी गिरफ्तार
सं दीप्ति जितेंद्र
- 22 Jun 2025, 11:32 PM
- Updated: 11:32 PM
रुद्रपुर/देहरादून, 22 जून (भाषा) उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले में कथित रूप से बंधक बनाकर रखे गए 35 नेपाली नागरिकों को नेपाल दूतावास, केआईएन इंडिया नाम के सामाजिक संगठन और पुलिस के एक संयुक्त अभियान में मुक्त कराया गया। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इन नेपाली नागरिकों को जिले के काशीपुर क्षेत्र से मुक्त कराया गया।
नेपाली दूतावास ने एक बयान में बताया कि बंधक बनाने वाले लोगों ने नेपाली नागगरिकों को प्रताड़ित किया।
बयान के अनुसार, घटना के संबंध में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और मामले की जांच की जा रही है।
नेपाल के विभिन्न जिलों के रहने वाले इन युवकों को नौकरी का झांसा देकर काशीपुर लाया गया और फिर कथित रूप से बंधक बनाकर रखा गया।
बयान के मुताबिक, आरोपियों ने नेपाल के नागरिकों से जबरन पैसे भी वसूले।
उधमसिंह नगर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मणिकांत मिश्रा ने काशीपुर क्षेत्र से मुक्त कराए गए नेपाली युवकों की संख्या 32 बताई है।
उन्होंने बताया कि काशीपुर क्षेत्र से मुक्त कराए गए लोगों को नेपाल दूतावास के अधिकारियों के हवाले कर दिया गया है।
अधिकारी ने बताया कि नयी दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास के नवीन जोशी द्वारा बृहस्पतिवार को यहां इस संबंध में दी गयी सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की गयी।
मिश्रा के अनुसार, शिकायतकर्ता ने बताया था कि नेपाल के कुछ युवकों को नौकरी का झांसा देकर भारत लाया गया और वे वर्तमान में काशीपुर क्षेत्र में रह रहे हैं।
अधिकारी ने बताया कि शिकायत पर संज्ञान लेते हुए युवकों को बचाने के लिए काशीपुर के क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई।
उन्होंने बताया कि टीम ने जोशी को साथ में लेकर ओम विहार कॉलोनी में महाराज सिंह उर्फ पप्पू के मकान पर दबिश दी।
अधिकारी ने बताया कि मकान में नेपाली मूल के कुल 32 लड़के मिले, जिसमें से तीन नाबालिग थे।
उन्होंने बताया कि पूछताछ में युवकों ने खुलासा किया कि नेपाल में ग्राम विकास समिति कपलेकी के धनगढ़ी निवासी बीरेंद्र शाही (21) द्वारा उन्हें नौकरी का झांसा देकर यहां लाया गया।
युवकों ने यह भी बताया कि हर युवक से 10,000 से 30,000 रुपये भी लिए गए और किसी को भी अब तक नौकरी पर नहीं रखा गया।
युवकों के अनुसार, उन्हें जबरदस्ती यहां रखकर ‘लीड विजन ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’ के उत्पाद बेचने को मजबूर किया जाता है और ऐसा करने से मना करने पर उनके साथ मारपीट, गाली-गलौच तथा जान से मारने की धमकी दी जाती है।
पीड़ितों ने बताया कि शाही के साथ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का रहने वाला सचिन कुमार और रुद्रपुर निवासी मनीष तिवारी भी उनका मानसिक व शारीरिक शोषण करते हैं।
मिश्रा ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 127(4), 318(4), 317(2), 3(5) और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत मुकदमा दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
अधिकारी के मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे लोग लीड विजन नाम की कंपनी से जुड़े हैं, जिसका मुख्यालय जनकपुरी दिल्ली में है।
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे कंपनी के संस्थापक निदेशक चेतन हान्डा व अन्य लोगों को नहीं जानते हैं।
पुलिस ने आरोपियों के हवाले से बताया कि वे हान्डा और अन्य लोगों के निर्देश पर लोगों को कंपनी से जोड़ने के लिये नौकरी का झांसा देकर उन्हें अपने पास बुलाते थे और फिर उनसे पैसे ऐंठकर कंपनी के खाते में डाल देते थे।
अधिकारी ने बताया कि पूछताछ में सामने आए नामों के खिलाफ तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
भाषा सं दीप्ति