वैश्विक तापमान वृद्धि से बादलों के स्वरूप में बदलाव
(द कन्वरसेशन) वैभव मनीषा
- 23 Jun 2025, 12:09 PM
- Updated: 12:09 PM
(क्रिस्चियन जैकब, मोनाश यूनिवर्सिटी)
मेलबर्न, 23 जून (द कन्वरसेशन) किसी भी समय, पृथ्वी की सतह का लगभग दो-तिहाई हिस्सा बादलों से ढका होता है। कुल मिलाकर, वे धरती को अधिक ठंडा बनाते हैं जो उनके बिना नहीं हो सकती।
लेकिन जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होती जा रही है जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जलाने से वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि के कारण होता है, बादलों के स्वरूप में भी बदलाव हो रहा है। इससे ग्रीनहाउस उत्सर्जन के कारण गर्मी में वृद्धि हो रही है, और बादलों के पैटर्न बदल रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, दुनिया का औसत तापमान जलवायु वैज्ञानिकों की अपेक्षा से कहीं ज्यादा बढ़ गया है। ‘नासा गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज’ के नेतृत्व में हमारे नवीनतम अनुसंधान में, हमने दिखाया कि बादलों के स्वरूप में बदलाव ने तापमान वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
** बादल और जलवायु
बादल सूरज की रोशनी को जमीन तक पहुंचने से पहले वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करके पृथ्वी को ठंडा रखने में मदद करते हैं। लेकिन सभी बादल समान नहीं होते।
चमकदार, सफेद बादल सूरज की ज्यादा रोशनी को परावर्तित करते हैं - खासतौर पर जब वे भूमध्य रेखा के करीब होते हैं, ये पृथ्वी के वो हिस्से हैं जहां सबसे ज्यादा धूप आती है। वहीं भूरे और बिखरे हुए बादल कम सूरज की रोशनी को परावर्तित करते हैं, जैसा कि ध्रुवों के करीबी बादल करते हैं जहां कम रोशनी पड़ती है।
पिछले साल प्रकाशित शोध से पता चला है कि पृथ्वी ग्रीनहाउस प्रभाव की तुलना में अधिक सूर्य प्रकाश को अवशोषित कर रही है। इसमें बादल शामिल थे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि वास्तव में कैसे।
** चमकीले बादल क्षेत्र सिकुड़ रहे हैं
हमारा नया अध्ययन दिखाता है कि क्या हो रहा है। अत्यधिक परावर्तक बादलों से आच्छादित क्षेत्र सिकुड़ रहे हैं। साथ ही, बिखरे हुए, कम परावर्तक बादलों वाले क्षेत्र बढ़ रहे हैं।
इसका शुद्ध प्रभाव यह है कि सूर्य के प्रकाश से अतिरिक्त ऊर्जा पृथ्वी की सतह तक पहुंच रही है। यहां इसे अवशोषित किया जाता है, जिससे अतिरिक्त गर्मी होती है।
हमने अत्यधिक परावर्तक बादलों के गुणों में परिवर्तन के प्रभाव को भी देखा, जो वायुमंडल में वायु प्रदूषण की मात्रा में परिवर्तन जैसी चीजों के कारण होता है। हालांकि, हमने पाया कि ये प्रभाव क्षेत्र में परिवर्तन के प्रभाव से बहुत छोटे हैं।
** वैश्विक तस्वीर
बड़ी तस्वीर में, पृथ्वी के वायु संबंधी पैटर्न भूमध्य रेखा के पास उठने वाली गर्म हवा और धरती के घूमने से प्रेरित होते हैं।
स्थानीय मौसम प्रणाली - जो बादलों के स्थान और प्रकार को निर्धारित करती हैं - इन प्रमुख, बड़े पैमाने वाली पवन प्रणालियों पर निर्भर करती हैं। ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के परिणामस्वरूप वायुमंडल में प्रमुख परिसंचरण पैटर्न बदल रहे हैं।
हमने पाया कि इन प्रमुख पवन प्रणालियों के किनारों पर बादलों की अधिकांश क्रियाएं हो रही हैं।
भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्र में अत्यधिक परावर्तन वाले बादल घट रहे हैं, जिसे अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र कहा जाता है, और दो अन्य बैंड भी हैं जिन्हें ‘स्टॉर्म ट्रैक’ कहा जाता है, जो 30 से 40 डिग्री अक्षांश के बीच स्थित हैं।
संक्षेप में कहें तो ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि से प्रेरित ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी पर प्रमुख पवन प्रणालियों को बदल देती है। यह बदले में अत्यधिक परावर्तक बादलों के क्षेत्र को कम करती है, जिससे अतिरिक्त गर्मी होती है।
गर्मी से हवा के पैटर्न बदलते हैं, जिससे बादलों के पैटर्न बदलते हैं और परिणामस्वरूप अधिक गर्मी होती है। इसे हम जलवायु प्रणाली में ‘सकारात्मक फीडबैक’ कहते हैं : गर्मी से अधिक गर्मी होती है।
(द कन्वरसेशन) वैभव