ठाणे की अदालत ने पत्नी की हत्या के जुर्म में बुजुर्ग को आजीवन कारावास की सजा सुनाई
प्रीति मनीषा
- 23 Jun 2025, 03:19 PM
- Updated: 03:19 PM
ठाणे, 23 जून (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने बीमार पत्नी की हत्या करने के जुर्म में 71 वर्षीय एक व्यक्ति को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि यह ‘‘जानबूझकर और योजनाबद्ध हत्या’’ थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी. एल. भोसले ने शोभनाथ राजेश्वर शुक्ला को उसकी पत्नी शारदा की हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत दोषी ठहराया।
अदालत द्वारा 12 जून को जारी किए गए आदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई। अदालत ने इस मामले में 71 वर्षीय व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने ‘‘हत्या की सुनियोजित प्रकृति’’ और ‘‘पीड़ित की कमजोरी का पूरी तरह से इस्तेमाल’’ पर गौर करते हुए अभियुक्त के प्रति नरमी बरतने से इनकार कर दिया और कहा कि ‘‘न्याय की कीमत पर दया नहीं दिखाई जा सकती।’’
मामले के विवरण के अनुसार, ठाणे शहर के वागले एस्टेट इलाके स्थित घर पर बीमार महिला की आठ नवंबर, 2019 को मौत हो गई थी और उसके एक बेटे को इसकी सूचना दी गई थी।
सिविल अस्पताल में महिला के बेटे ने उसकी गर्दन पर संदिग्ध निशान देखे, जिसे सफेद मरहम से छिपाया गया था जिसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकला कि दम घुटने के कारण शारदा की मौत हुई थी।
अतिरिक्त सरकारी वकील आर.पी पाटिल ने अदालत को बुजुर्ग दंपति के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बारे में जानकारी दी।
शारदा विधवा थी और उसके पहले विवाह से तीन पुत्र थे। शोभनाथ विधुर था। शारदा ने उससे विवाह कर लिया। शारदा के पहले पति की संपत्ति बेचने से मिली धन राशि से शारदा ने एक कमरा बनवाया जो वह अपने छोटे बेटे के नाम करना चाहती थी। लेकिन शोभनाथ इसे अपने बेटे अशोक के नाम करना चाहता था। इसी बात को लेकर उनके बीच झगड़ा हुआ।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शारदा जून 2019 में गिर जाने के बाद चलने फिरने में अक्षम हो गई और देखभाल के लिए शोभनाथ पर निर्भर हो गई।
शारदा के बेटों विशाल और अमोल यादव ने अपनी गवाही में बताया कि शारदा की देखभाल को शोभनाथ बोझ कहता था और अक्सर उसे मार डालने की धमकी देता था जिसके बारे में शारदा ने उनसे कई बार शिकायत की थी।
बचाव पक्ष के वकील संदीप येवले ने कहा कि यह आत्महत्या का मामला है।
अदालत ने पाया कि चलने फिरने में अक्षम महिला आत्महत्या नहीं कर सकती क्योंकि उसकी शारीरिक सीमा के चलते उसके लिए अपना गला दबाना संभव नहीं था।
न्यायाधीश ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसके द्वारा दिए गए धमकी भरे बयानों, संपत्ति विवाद, देखभालकर्ता के रूप में उसकी हताशा, तथा घटना के बाद उसके संदिग्ध व्यवहार पर गौर किया जिसमें उसने गला दबाने के निशान को "मंगलसूत्र का निशान’’ बताने की कोशिश की थी।
भाषा प्रीति