सपा के तीन विधायक पार्टी से निष्कासित, विधायकों ने की आलोचना
सलीम राजकुमार
- 23 Jun 2025, 05:26 PM
- Updated: 05:26 PM
लखनऊ, 23 जून (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) ने तीन बागी विधायकों-- अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय को सोमवार को निष्कासित कर दिया।
गोसाईगंज से सपा विधायक अभय सिंह, गौरीगंज से पार्टी विधायक राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार से विधायक मनोज कुमार पांडेय पर खुले तौर पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन में आने का आरोप है।
निष्कासित विधायकों ने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी के फैसले की कड़ी आलोचना की तथा इसके आंतरिक नेतृत्व और वैचारिक भटकाव पर सवाल उठाए।
सपा ने इन तीनों विधायकों के निष्कासन का एलान करते हुए ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता तथा किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण’’ तीनों विधायकों को पार्टी से निष्कासित किया गया है।
पार्टी ने कहा, ‘‘इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गयी ‘अनुग्रह-अवधि’ की समय-सीमा अब पूर्ण हुई। भविष्य में भी ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा और पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी।’’
सपा ने कहा, ‘‘जहां रहें, विश्वसनीय रहें। सहृदयपूर्ण शुभकामनाएं।’’
सपा का आरोप है कि उसके विधायकों --अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय ने पिछले साल फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी से बगावत करते हुए भाजपा प्रत्याशियों को वोट दिया था। पार्टी ने उनके खिलाफ तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की थी।
इस बीच, 2024 में राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले सपा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे चुके पांडेय ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बात करते हुए सपा से निष्कासित किये जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कई सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस घटनाक्रम से हैरान हूं। मुझे समाजवादी पार्टी चलाने वालों पर दया आती है। कोई पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को कैसे निकाल सकती है जो पहले ही एक लाख लोगों की भीड़ के सामने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो चुका है?’’
पांडेय ने सपा पर हमला करते हुए उस पर हिंदू मान्यताओं का अनादर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी राजनीतिक दल भगवान राम का अपमान कैसे कर सकता है, रामचरितमानस को कैसे जला सकता है और हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कैसे कर सकता है?’’
सपा की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नीति की आलोचना करते हुए पांडेय ने कहा, ‘‘अगर असली पीडीए देखना है तो भाजपा के सबका साथ, सबका विकास को देखें। चाहे आवास हो या मुफ्त राशन, लाभ बिना किसी भेदभाव के हर नागरिक तक पहुंचता है।’’
उन्होंने कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा जनसेवा पर आधारित है, न कि विशेषाधिकार पर।
पांडेय ने कहा, ‘‘मैं यहां तक पहुंचने के लिए कांटों से गुजरा हूं। मैंने कभी अन्याय या गलत विचारधारा के आगे घुटने नहीं टेके।’’
इस बीच, राकेश प्रताप सिंह ने अपने निष्कासन का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने यह फैसला लिया। सच बोलने वालों के लिए सपा में कोई जगह नहीं बची है।’’
सिंह ने पार्टी पर ‘गैर-समाजवादी ताकतों’ के हाथों की कठपुतली होने का आरोप लगाया और पीडीए के नारे को ‘‘परिवार विकास प्राधिकरण’’ कहकर उसका मजाक उड़ाया।
सिंह ने दोहराया कि पार्टी के साथ उनके मतभेद तब शुरू हुए थे जब सपा नेताओं ने रामचरितमानस को जलाने और हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की निंदा करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मेरे अयोध्या जाने पर भी आपत्ति जताई। यहीं से अलगाव शुरू हुआ।’’
भविष्य की अपनी राजनीतिक योजनाओं के बारे में सिंह ने कहा कि वह अपने मतदाताओं और परिवार के बुजुर्गों से सलाह लेंगे।
सिंह ने यह भी कहा कि वह दो अन्य निष्कासित विधायकों और पूर्व में पार्टी की तरफ से नोटिस पाये पांच अन्य लोगों के साथ नियमित संपर्क में हैं तथा उम्मीद है कि सपा जल्द ही बाकी पांचों को भी निष्कासित कर देगी।
उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 258 सीट हैं। इसके अलावा सपा के पास 107, अपना दल (सोनेलाल) के पास 13, राष्ट्रीय लोक दल के पास नौ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और निषाद पार्टी के पास पांच-पांच, कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास दो-दो और बसपा के पास एक सीट है।
भाषा सलीम