पंजाब, गुजरात में ‘आप’ ने दो सीट बरकरार रखीं, केरल में यूडीएफ ने वाम मोर्चा से नीलांबुर सीट छीनी
सुभाष नरेश
- 23 Jun 2025, 05:34 PM
- Updated: 05:34 PM
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) चार राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनावों में सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के गोपाल इटालिया ने गुजरात की विसावदर सीट पर जीत दर्ज की और उनकी पार्टी ने पंजाब में लुधियाना पश्चिम सीट भी बरकरार रखी, जबकि केरल में कांग्रेस नीत यूडीएफ ने सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) से नीलांबुर सीट छीन ली।
वहीं, गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कडी सीट बरकरार रखी, जबकि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल के नादिया जिले की कालीगंज विधानसभा सीट पर बढ़त बनाये हुए है।
इन पांचों निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव के तहत मतदान 19 जून को हुआ था।
निर्वाचन आयोग द्वारा साझा किये गए आंकड़ों के अनुसार, ‘आप’ की गुजरात इकाई के पूर्व अध्यक्ष इटालिया ने जूनागढ़ जिले की विसावदर सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं भाजपा उम्मीदवार किरीट पटेल को 17,554 मतों के अंतर से हराया।
राज्य में अपना लगभग पूर्ण प्रभुत्व रखने के बावजूद, भाजपा 2007 से विसावदर सीट नहीं जीत पाई है। ‘आप’ के तत्कालीन विधायक भूपेंद्र भयानी के इस्तीफा देने और सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के बाद दिसंबर 2023 में यह सीट खाली हो गई थी।
पंजाब में सत्तारूढ़ ‘आप’ ने लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। उसके उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण आशु को 10,637 मतों के अंतर से हराया।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अरोड़ा को 35,179, जबकि आशु को 24,542 वोट मिले। भाजपा के जीवन गुप्ता को 20,323 वोट मिले जबकि शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के परोपकार सिंह घुम्मण को महज 8,203 वोट ही हासिल हुए।
जनवरी में ‘आप’ विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी का निधन हो जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था।
मतदाताओं को धन्यवाद देते हुए ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में लोग भाजपा से तंग आ चुके हैं तथा उपचुनावों में उन्होंने कांग्रेस और भाजपा, दोनों को खारिज कर दिया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया, ‘‘दोनों सीटों पर कांग्रेस और भाजपा, दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ीं। इन दोनों का एक ही मकसद था - आप को हराना। लेकिन लोगों ने दोनों ही जगह इन पार्टियों को नकार दिया।’’
भाजपा के राजेंद्र चावड़ा ने अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित मेहसाणा जिले की कडी सीट पर कांग्रेस के रमेश चावड़ा को 39,452 मतों के अंतर से हराया। यह सीट भाजपा विधायक करसन सोलंकी का फरवरी में निधन हो जाने के कारण रिक्त हुई थी।
केरल में पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार को झटका लगा क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने नीलांबुर विधानसभा सीट 11,077 मतों के अंतर से उससे छीन ली। कांग्रेस के आर्यदान शौकत ने माकपा के प्रदेश सचिवालय सदस्य एम स्वराज को हराया।
यह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले एलडीएफ के लिए पिनराई विजयन सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान चौथा उपचुनावी झटका है। एलडीएफ इससे पहले पुथुपल्ली, पलक्कड़ और थ्रिक्काकारा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में हार चुका है।
सत्तारूढ़ माकपा ने कहा कि वह जनादेश को स्वीकार करती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पहली बार एलडीएफ ने अपनी मौजूदा सीट अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के हाथों गंवायी है।
नीलांबुर सीट एलडीएफ समर्थित निर्दलीय और दो बार के विधायक पी वी अनवर के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी।
स्वराज ने कहा कि एलडीएफ नतीजों का बारीकी से विश्लेषण करेगा, लेकिन उन्होंने वाम सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होने की बात को खारिज कर दिया।
वहीं, शौकत ने कहा कि इस तरह के नतीजे की उम्मीद थी। उन्होंने कहा, ‘‘एलडीएफ सरकार के खिलाफ यह एक बड़ी जीत है।’’
इस उपचुनाव ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया क्योंकि इसे पिनराई विजयन सरकार के लिए सेमीफाइनल के रूप में देखा गया। यह सरकार के कार्यकाल का चौथा वर्ष है।
यूडीएफ के लिए यह जीत अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मनोबल बढ़ाने वाली होगी।
पश्चिम बंगाल में, नादिया जिले की कालीगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस 19,000 से अधिक मतों से आगे चल रही है।
सात चरण की मतगणना के बाद, तृणमूल उम्मीदवार अलीफा अहमद को 32,308 वोट, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं माकपा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार काबिल उद्दीन शेख को 13,144 वोट मिले हैं।
चुनाव अधिकारियों ने कहा कि भाजपा उम्मीदवार आशीष घोष 11,987 वोट के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
इस साल फरवरी में तृणमूल विधायक नसीरुद्दीन अहमद के निधन के बाद यहां उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी। उनकी बेटी अलीफा अहमद को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा।
भाषा सुभाष