एकल मां के बच्चों के लिए ओबीसी प्रमाणपत्र का अनुरोध करने वाली याचिका ‘अहम’ है: न्यायालय
धीरज संतोष
- 23 Jun 2025, 06:15 PM
- Updated: 06:15 PM
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की एकल माताओं के बच्चों को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए नियमों में संशोधन का अनुरोध करने वाली याचिका को सोमवार को ‘अहम’ करार दिया।
न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा रिट याचिका एकल मां के बच्चों को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने के बारे में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाती है, जिसमें मां ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से संबंधित है।’’
केंद्र का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दायर कर दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने 31 जनवरी को दिल्ली की एक महिला द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
पीठ ने सोमवार को इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए कहा, ‘‘इस पर सुनवाई होनी चाहिए।’’
पीठ ने उच्चतम न्यायालय के 2012 के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें उस व्यक्ति की स्थिति से संबंधित प्रश्न पर विचार किया गया था, जिसके माता-पिता में से एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है और दूसरा किसी भी श्रेणी से संबंधित नहीं है।
केंद्र के वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार-विमर्श की जरूरत है और सभी राज्यों को इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्राधिकारियों को न्यायालय से दिशा-निर्देश की आवश्यकता होगी।
केन्द्र के वकील ने कहा कि विभिन्न कारकों पर विचार किया जाना है जिसके बाद दिशानिर्देश तैयार किये जायेंगे।
याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि एकल मां के पास मौजूद प्रमाणपत्र के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का प्रमाणपत्र जारी किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘मामले के महत्व को देखते हुए, भारत के प्रधान न्यायाधीश के आदेश के अधीन, मामले को 22 जुलाई को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।’’
शीर्ष अदालत ने पक्षकारों को अपने लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
पीठ ने पक्षकारों से कहा कि वे उस स्थिति पर विचार करें, जहां एकल मां ने अंतरजातीय विवाह किया हो।
याचिका में दलील दी गई है कि प्रतिवादी प्राधिकारियों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, एकल माता के ओबीसी प्रमाणपत्र के आधार पर बच्चे को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा सकता तथा आवेदक को केवल पिता के पक्ष का ही ऐसा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रतिवादियों की ऐसी कार्रवाई स्पष्ट रूप से संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध है।
मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, दिल्ली में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को, जो ओबीसी प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करना चाहता है, उसे अपने किसी भी रक्त संबंधी का ओबीसी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें पिता, दादा या चाचा शामिल हैं।
भाषा धीरज