कांग्रेस ने दाहोद लोकोमोटिव परियोजना को लेकर सवाल उठाए, रेल मंत्रालय ने आरोपों को खारिज किया
हक हक सुरेश
- 23 Jun 2025, 07:10 PM
- Updated: 07:10 PM
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) कांग्रेस ने गुजरात के दाहोद लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र परियोजना से जुड़ी निविदा प्रक्रिया को लेकर सोमवार को सवाल खड़े किए और इस मामले की संसदीय समिति से जांच की मांग की।
दूसरी तरफ, रेल मंत्रालय ने कांग्रेस के आरोप को भ्रामक करार दिया और कहा कि निविदा प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता का पालन किया गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते 26 मई को गुजरात के दाहोद में लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र सहित कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया था।
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बीते 26 मई को प्रधानमंत्री जी ने गुजरात के दाहोद में 9,000 हॉर्सपावर के लोकोमोटिव संयंत्र का उद्घाटन किया था। यह संयंत्र ‘सीमेंस’ नामक कंपनी के साथ एक अनुबंध के तहत बनाया गया है। यह अनुबंध करीब 26 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें करीब 1200 यूनिट लोकोमोटिव इंजन का निर्माण किया जाएगा।’’
उनका कहना था, ‘‘दिसंबर, 2022 में भारत सरकार द्वारा एक विज्ञापन के माध्यम से बताया गया था कि सीमेंस के साथ 26,000 करोड़ रुपये का ‘लेटर ऑफ अवार्ड’ (कार्य स्वीकृति) हुआ। इसका पूरा निर्माण दाहोद में होगा और यह संयंत्र करीब दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा।
सिंह के अनुसार, अब जो तस्वीर सामने आई है, वह कुछ और बयां कर रही है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस परियोजना में पारदर्शिता को लेकर सवाल है और हितों का टकराव दिखाई देता है।
सिंह ने कहा कि राजनीति में आने से पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ‘सीमेंस’ में पदाधिकारी रह चुके हैं। क्या यह संयोग है या कुछ और कि सीमेंस को इतना बड़ा ठेका उस वक्त मिलता है जब वैष्णव रेल मंत्री हैं। प्रथम दृष्टया यह हितों के टकराव का मामला दिखता है।’’
उन्होंने दावा किया कि जिस ‘मेक इन गुजरात’ का आश्वासन दिया गया था, वैसा कुछ नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि दाहोद में विनिर्माण के नाम पर सिर्फ असेंबलिंग, परीक्षण और ‘कमीशनिंग’ है तथा असली विनिर्माण ‘सीमेंस’ की अपनी फैक्ट्री में होगी।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘छब्बीस हजार करोड़ रुपये के अनुबंध में निविदा देने की क्या प्रक्रिया थी? बोली लगाने की प्रक्रिया में उद्योग के कौन-कौन से बड़े प्रमुख समूह शामिल थे?’’
सिहं ने कहा, ‘‘कांग्रेस की मांग है कि इस मामले की संसदीय जांच हो, ताकि इसके सभी पहलू उजागर हो सकें।’’
रेल मंत्रालय ने एक बयान में कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मुख्य विपक्षी दल ने भ्रामक दावे किए हैं।
उसने कहा, ‘‘नौ हजार एचपी इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण और रखरखाव के लिए निविदा को पारदर्शी तरीके से निष्पादित किया गया तथा दाहोद लोकोमोटिव के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले लगभग 89 प्रतिशत घटक भारत में बने हैं।
मंत्रालय का कहना है, ‘‘कांग्रेस ने संवाददाता सम्मेलन में दाहोद में 9000 एचपी इलेक्ट्रिक इंजन के विनिर्माण के खिलाफ भारतीय रेलवे के खिलाफ जो आरोप लगाये हैं, वे भ्रामक हैं।’’
उसने कहा कि 9,000 एचपी इलेक्ट्रिक इंजनों के विनिर्माण और रखरखाव के लिए निविदा को पारदर्शी तरीके से निष्पादित किया गया। इसने कहा कि विश्व स्तर पर दो इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माता हैं, जिनके पास 9000 एचपी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है तथा दोनों कपंनियों, एल्सटॉम और सीमेंस, ने निविदा में भाग लिया था।’’
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