गोगोई ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर असम में डेयरी परियोजना के लाभार्थियों की जांच की मांग की
शफीक संतोष
- 28 Jun 2025, 10:57 PM
- Updated: 10:57 PM
गुवाहाटी, 28 जून (भाषा) कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य गौरव गोगोई ने शनिवार को आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ सरकार के मंत्रियों और विधायकों के परिवार के सदस्य और सहयोगी एक सरकारी योजना का लाभ उठा रहे हैं, जिससे राज्य में वास्तविक लाभार्थी वंचित हो रहे हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे लाभार्थियों को यहां तक कि गिर गायें भी आवंटित की गईं जो विशेष रूप से एक अन्य राज्य-वित्त पोषित परियोजना के लिए लाई गई थीं।
उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की भूमिका की भी आलोचना की और इसे ‘‘राजनीतिक पक्षपात का खुला समर्थन’’ बताया।
हालांकि, शर्मा ने दावा किया कि अधिक दूध देने वाली इन गिर गायों को आवंटित व्यक्तियों द्वारा ही खरीदा गया था, क्योंकि ये गायें इस पूर्वोत्तर राज्य में जीवित नहीं रह पा रही थीं।
गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में असम में डेयरी पालन की स्थापना के लिए उद्यमी को सहायता (2022-23) योजना के लाभार्थियों की जांच कराने का अनुरोध किया।
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गोगोई द्वारा यह आरोप डेयरी पालन प्रोत्साहन योजना के तहत लाभार्थियों की सूची में मंत्रियों और विधायकों के परिवार के सदस्यों के नाम शामिल होने की खबरों के बाद आया है।
गोगोई ने कहा कि इस योजना को असम सरकार से पर्याप्त वित्तीय सहायता मिलती है और प्रत्येक इकाई 50 लाख रुपये तक की सब्सिडी के लिए पात्र है, जिसका उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में वास्तविक उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा, ‘‘हालांकि, कई रिपोर्ट और आधिकारिक दस्तावेज लाभार्थियों के चयन में अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं। योजना के कई लाभार्थी राज्य सरकार के मंत्रियों और विधायकों के परिवार के सदस्य या सहयोगी प्रतीत होते हैं, जबकि कई पुराने डेयरी किसान कथित तौर पर कई बार आवेदन करने और पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करने के बावजूद नजरअंदाज कर दिए गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि अनुभवी डेयरी उद्यमियों को वंचित रखने से चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
गोगोई ने कहा, ‘‘असम के मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया भी काफी चिंताजनक है, जिन्होंने डेयरी योजना के लाभार्थियों की सूची में मंत्रियों के परिवार के सदस्यों को शामिल करने को उचित ठहराया है।’’
उन्होंने शर्मा के इस कथित बयान का जिक्र किया कि सत्ता से बाहर होने पर मंत्रियों के परिवारों को आय के स्रोत की आवश्यकता होगी।
परियोजना के लिए गिर गायों की खरीद और इनमें से अधिक दूध देने वाली कई गायों को निजी पार्टियों को आवंटित करने का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि इन्हें कई निर्वाचित प्रतिनिधियों को आवंटित किया गया था, जिनमें जयंत मल्ला बरुआ (कैबिनेट मंत्री और नलबाड़ी से विधायक), भूपेन पेगु (जोनाई से विधायक), उत्पल बोरा (गोहपुर से विधायक), दिगंत कलिता (कमलपुर से विधायक) और दिलीप सैकिया (सांसद) की पत्नी की स्वामित्व वाली फर्म शामिल हैं।"
सैकिया राज्य भाजपा इकाई के अध्यक्ष भी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर राजनीतिक रूप से जुड़े लोगों को गरीबों के लिए निर्धारित लाभों को हड़पने की अनुमति दी जाती है, तो हम उन लोगों को अलग-थलग करने का जोखिम उठाते हैं, जिनके उत्थान के लिए ये योजनाएं बनाई गई हैं।"
उन्होंने प्रधानमंत्री से जांच शुरू करने का आग्रह किया। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष ने पहले ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया था कि करदाताओं के 50 लाख रुपये एक मंत्री को उसके निजी डेयरी फार्म के लिए दिए गए थे।
इस बीच, राजनीतिक रूप से जुड़े लोगों को गिर गायों के आवंटन के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि इन्हें एनडीबीबी द्वारा गोरुखुटी परियोजना के लिए लाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘ये गायें एक-एक करके मरने लगी थीं। परियोजना से जुड़े विधायक पद्म हजारिका ने इन लोगों से अनुरोध किया और उन्होंने गायें खरीद लीं। वास्तव में, हमें उन्हें खरीदने के लिए धन्यवाद देना चाहिए, अन्यथा इन बीमार मवेशियों को खरीदने वाले कोई नहीं था।’’
उन्होंने कहा कि गायों को बेचने के तरीकों के बारे में सोचते हुए वह 7-10 दिनों तक सो नहीं पाए थे।
शर्मा ने मीडिया पर निशाना साधते हुए दावा किया कि मीडिया ने सवाल करके गायों के आवंटन के मामले को ‘मवेशी नीलामी’ के स्तर पर पहुंचा दिया है। उन्होंने मीडिया के उस सवाल का जिक्र किया जिसमें पूछा गया है कि क्या ये गिर गायें उचित प्रक्रिया के तहत बेची गई हैं (जैसा कि सरकारी संपत्ति के मामले में निविदा या नीलामी के जरिये किया जाता है)।
शर्मा ने दावा किया, ‘‘आप सभी भाजपा से नफरत कर सकते हैं, लेकिन इस स्तर तक मत गिरिए। जब गैंडे मारे गए थे, तब भी आप सभी इतने चिंतित नहीं थे।’’
शर्मा ने दावा किया कि धुबरी में 1,450 मवेशियों का अवैध रूप से वध किया गया और इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
भाषा शफीक