मुद्दे का अध्ययन करने के लिए गठित होगी समिति; छात्र हित में निर्णय लिया जाएगा: फडणवीस
प्रीति नरेश
- 30 Jun 2025, 11:05 PM
- Updated: 11:05 PM
मुंबई, 30 जून (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि एक समिति यह तय करेगी कि राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी समेत कोई तीसरी भाषा शुरू की जाए या नहीं।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा न कि किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव में।
महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य मंत्रिमंडल ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश को रद्द कर दिया।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नयी समिति राज्य को कारण सहित बताएगी कि क्या हिंदी या कोई तीसरी भाषा कक्षा एक या उसके बाद पढ़ाई जा सकती है। हम छात्रों के हित में निर्णय लेंगे और किसी राजनीतिक दबाव में नहीं आएंगे।’’
फडणवीस ने सरकारी आदेश वापस लेने के संबंध में कहा कि उनकी सरकार ने इसे अहं का मुद्दा नहीं बनाया है।
उद्धव ठाकरे द्वारा दिए गए इस बयान पर कि सरकारी प्रस्ताव इसलिए वापस लिए गए ताकि उनके और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे (मनसे) के बीच संभावित गठबंधन की कोई संभावना न रहे, इस पर फडणवीस ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘मैंने ऐसा कोई सरकारी प्रस्ताव जारी नहीं किया है कि दो भाई दोबारा एक न हों।’’
उन्होंने बताया कि त्रिभाषा नीति रिपोर्ट उस समय स्वीकार की गई थी जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे और उनकी (उद्धव) पार्टी के एक नेता ने तो पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य बनाने की सिफारिश भी की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसी निर्णय को उनके मंत्रिमंडल में भी मंजूरी दी गई थी। जैसी की उम्मीद थी, ठीक वैसे ही वह बाद में अपनी बात से पलट गए थे। उद्धव ठाकरे हिंदी भाषा के खिलाफ हैं। पलटूराम नाम उन पर खूब जंचता है।’’
अलग हुए चचेरे भाइयों के बीच संभावित राजनीतिक मेल-मिलाप के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा कि अगर दोनों एक साथ आते हैं तो उन्हें खुशी होगी।
दो चचेरे भाइयों (उद्धव और राज ठाकरे) के बीच संभावित राजनीतिक मेल-मिलाप के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा कि अगर दोनों साथ आते हैं तो उन्हें खुशी होगी।
उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि उद्धव ठाकरे भी अपने पहले के रुख को स्पष्ट करें। अगर वे फिर से एक हो जाएं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।”
भाषा
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