कोलकाता कॉलेज सामूहिक दुष्कर्म: तीन मुख्य आरोपियों की पुलिस हिरासत आठ जुलाई तक बढ़ाई गई
प्रशांत दिलीप
- 01 Jul 2025, 10:49 PM
- Updated: 10:49 PM
कोलकाता, एक जुलाई (भाषा) यहां की एक अदालत ने कोलकाता के एक विधि महाविद्यालय में प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ कथित सामूहिक बलात्कार की घटना के सिलसिले में गिरफ्तार तीन आरोपियों की पुलिस हिरासत मंगलवार को बढ़ाकर 8 जुलाई तक कर दी।
इन तीनों में मुख्य संदिग्ध मनोजीत मिश्रा तथा दो अन्य छात्र - जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी शामिल हैं। मिश्रा ‘साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज’ का पूर्व छात्र और अस्थायी कर्मचारी था। इसी कॉलेज में 25 जून की शाम को यह घटना घटी थी।
इन तीन आरोपियों को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया गया और अगले दिन अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें शुरू में चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।
मंगलवार को अलीपुर अदालत में पेश करने पर उनकी पुलिस हिरासत आठ दिन बढ़ाकर 8 जुलाई तक कर दी गई।
इस मामले में कॉलेज के सुरक्षा गार्ड पिनाकी बनर्जी को भी 28 जून को गिरफ्तार किया गया था। उसकी पुलिस हिरासत चार जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पुलिस हिरासत की अवधि सरकारी वकील और जांच अधिकारी के अनुरोध के बाद बढ़ाई गई, जिन्होंने आरोपी से पूछताछ के लिए और समय मांगा था।
सूत्रों के अनुसार, तीनों आरोपियों - मिश्रा, अहमद और मुखर्जी - के वकीलों ने जमानत याचिका दायर नहीं की, बल्कि अदालत को बताया कि आरोपी जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और सच्चाई सामने लाने में मदद करने के इच्छुक हैं।
उन्होंने अदालत से यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि आरोप साबित होने से पहले कोई ‘मीडिया ट्रायल’ न हो और अनुरोध किया कि इस प्रक्रिया में अभियुक्त को “परेशान” न किया जाए।
बचाव पक्ष के वकील ने अनुरोध किया कि उन्हें आरोपियों के साथ अपराध स्थल पर जाने की अनुमति दी जाए तथा पुलिस द्वारा उनसे पूछताछ के दौरान भी उपस्थित रहने की अनुमति दी जाए।
बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि आरोपियों के फोन जब्त कर लिए गए हैं, लेकिन यह पता नहीं चल पाया है कि जांचकर्ताओं ने शिकायतकर्ता के मोबाइल की भी जांच की थी या नहीं।
पुलिस हिरासत की अवधि सरकारी वकील और जांच अधिकारी की प्रार्थना के बाद बढ़ाई गई, जिन्होंने आरोपी से पूछताछ के लिए अधिक समय मांगा था।
इस बीच, गिरफ्तार सुरक्षा गार्ड के वकील ने जमानत की गुहार लगाते हुए तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह अपनी ड्यूटी की जगह छोड़कर नहीं गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि गार्ड की आय बहुत सीमित है और वह किसी भी तरह से बलात्कार के कृत्य में शामिल नहीं था।
अदालत ने हालांकि याचिका खारिज कर दी और उसकी पुलिस हिरासत भी बढ़ा दी।
इससे पहले, मजिस्ट्रेट को कुछ समय के लिए सुनवाई स्थगित करनी पड़ी क्योंकि सैकड़ों वकील जो मामले से जुड़े नहीं थे, अदालत कक्ष में घुस गए थे।
वकीलों के दो समूहों के बीच तीखी नोकझोंक हुई - एक पक्ष ने आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग की, जबकि दूसरे ने निष्पक्ष जांच की मांग की और बाहरी लोगों के प्रवेश का विरोध किया।
भाषा प्रशांत