पोर्श मामले के आरोपियों ने एक अन्य अस्पताल में भी रक्त के नमूने बदलने की कोशिश की: पुलिस
सिम्मी नरेश
- 09 Jul 2025, 02:50 PM
- Updated: 02:50 PM
पुणे, नौ जुलाई (भाषा) पुणे पोर्श मामले में अभियोजन पक्ष ने यहां की एक अदालत से कहा कि नाबालिग आरोपी को बचाने के लिए एक अन्य अस्पताल में भी रक्त के नमूने बदलने की कोशिश की गई थी, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो सका।
अभियोजन पक्ष ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173(8) के तहत अतिरिक्त दस्तावेज जमा करते हुए कहा कि पुणे पुलिस ने सबसे पहले ससून अस्पताल में नाबालिग के रक्त के नमूने भेजे थे और उसे नमूनों से छेड़छाड़ किए जाने की आशंका थी।
पुलिस ने अदालत को बताया कि इसके बाद पुलिस ने एहतियात के तौर पर औंध सरकारी अस्पताल में भी किशोर के रक्त के नमूने भेजे लेकिन उसके माता-पिता समेत कुछ अन्य आरोपियों को इसकी भनक लग गई।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपियों ने नमूने बदलने के लिए औंध अस्पताल के अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन वहां के चिकित्सकों ने उनके साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया और उन्हें वापस भेज दिया।
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई, 2024 को कथित तौर पर नशे की हालत में पोर्श कार चला रहे 17 वर्षीय लड़के ने दो आईटी पेशेवरों अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा को कुचल दिया था।
बाद में जांच से पता चला कि ससून अस्पताल में आरोपी के रक्त के नमूनों को उसकी मां के नमूनों से बदल दिया गया था ताकि दुर्घटना के समय उसके नशे में होने की बात को छुपाया जा सके।
अपराध शाखा के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जिस तरह उन्होंने ससून अस्पताल में रक्त के नमूनों के साथ छेड़छाड़ की, किशोर के माता-पिता और बिचौलिए अशपाक मकंदर ने उसी तरह औंध अस्पताल में भी ऐसा करने की कोशिश की लेकिन चिकित्सकों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया।’’
ससून अस्पताल में कथित रूप से रक्त नमूने बदले जाने के मामले में फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तावरे, चिकित्सा अधिकारी श्रीहरि हल्नोर और एक कर्मचारी अतुल घटकांबले जांच के दायरे में आए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
ससून के तीन कर्मचारियों के अलावा किशोर के पिता, बिचौलियों मकंदर एवं अमर गायकवाड़, आदित्य अविनाश सूद, आशीष मित्तल और अरुण कुमार सिंह रक्त का नमूना बदलने के आरोप में जेल में हैं।
अदालत में आरोप तय करने के संबंध में सुनवाई जारी है। सीआरपीसी की धारा 173(8) आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी अपराध की आगे की जांच करने की अनुमति देती है।
भाषा
सिम्मी