‘प्रतिबंधात्मक’ व्यापारिक कदमों से बचने की जरूरत: विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से कहा
राजकुमार संतोष
- 14 Jul 2025, 09:30 PM
- Updated: 09:30 PM
(तस्वीरों के साथ)
बीजिंग, 14 जुलाई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक वार्ता के दौरान कहा कि भारत और चीन को द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में उत्तरोत्तर बढ़ते रहना चाहिए ताकि तनाव कम करने समेत सीमा संबंधी मुद्दों का समाधान किया जा सके।
उन्होंने कहा कि ‘प्रतिबंधात्मक’ व्यापारिक कदमों से बचा जाना भी आवश्यक है।
बैठक में अपने प्रारंभिक भाषण में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध इस आधार पर ‘सकारात्मक प्रक्षेप पथ’ पर उत्तरोत्तर बढ़ सकते हैं कि भारत और चीन के बीच मतभेद विवाद में नहीं बदलना चाहिए और ना ही प्रतिस्पर्धा को संघर्ष का रूप लेना चाहिए।
जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए ‘परस्पर विश्वास’ की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
यह टिप्पणी सैन्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में पाकिस्तान को चीन द्वारा निरंतर समर्थन दिए जाने की पृष्ठभूमि में आई है।
दोनों विदेश मंत्रियों के बीच यह वार्ता जयशंकर के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचने के कुछ घंटों बाद हुई।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई भारी गिरावट के बाद से यह पड़ोसी देश की उनकी पहली यात्रा है।
मंगलवार को एससीओ विदेश मंत्रिस्तरीय बैठक में जयशंकर ने कहा कि इसका प्राथमिक दायित्व आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से मुकाबला करना है क्योंकि ‘‘यह एक साझी चिंता है और भारत को उम्मीद है कि आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने नीति को दृढ़ता से बरकरार रखा जाएगा।’’
वांग के साथ बैठक के दौरान अपनी टिप्पणी में विदेश मंत्री जयशंकर ने ‘प्रतिबंधात्मक’ व्यापारिक कदमों और ‘बाधाओं’ से बचने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात के साथ-साथ उर्वरकों की आपूर्ति से संबंधित मुद्दों पर चीन के रूख के सिलसिले में थी।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में पिछले नौ महीने में काफी प्रगति की है। यह सीमा पर तनाव के समाधान और शांति बनाये रखने की हमारी क्षमता का परिणाम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पारस्परिक रणनीतिक विश्वास और द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास का मूलभूत आधार है। अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम तनाव कम करने समेत सीमा से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दें।’’
जयशंकर ने भारत के इस रुख को भी दोहराया कि भारत-चीन संबंध ‘परस्पर सम्मान, पारस्परिक हित और पारस्परिक संवेदनशीलता’ पर आधारित होने चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘पड़ोसी देशों और आज दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, हमारे संबंधों के विविध पहलू और आयाम हैं। हमारे लोगों के बीच आदान-प्रदान को सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदम निश्चित रूप से परस्पर लाभकारी सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ इस संदर्भ में यह भी आवश्यक है कि प्रतिबंधात्मक व्यापारिक कदमों और बाधाओं से बचा जाए। मुझे उम्मीद है कि इन मुद्दों पर और विस्तार से चर्चा होगी।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध न केवल दोनों पक्षों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए लाभकारी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को संभालने से ही संभव है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले ही हमारे बीच इस बात पर सहमति बन चुकी है कि मतभेद विवाद में नहीं बदलना चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा संघर्ष का रूप लेना चाहिए। इसी आधार पर, हम अब अपने संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।’’
जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध में इस बात की जरूरत है कि दोनों पक्ष अपने संबंधों के सिलसिले में दूरदर्शी पहल करें।
उन्होंने पिछले वर्ष अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘अक्टूबर 2024 में कजान में हमारे नेताओं की बैठक के बाद से, भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारी ज़िम्मेदारी इस गति को बनाए रखने की है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘हाल के दिनों में, हम दोनों को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में मिलने और रणनीतिक संवाद करने के कई अवसर मिले हैं। हमारी उम्मीद है कि अब यह नियमित होगा और एक-दूसरे के देशों में होगा।’’
विदेश मंत्री ने चीनी पक्ष को एससीओ की सफल अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारत ‘‘अच्छे परिणाम और निर्णय’’ सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बीजिंग में जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ भी बातचीत की और उन्हें बताया कि भारत-चीन संबंधों के निरंतर सामान्यीकरण से पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम निकल सकते हैं और ‘जटिल’ वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए दोनों पक्षों के बीच विचारों का खुला आदान-प्रदान ‘बहुत जरूरी’ है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के बंदरगाह शहर क़िंगदाओ की यात्रा करने के तीन सप्ताह से भी कम समय बाद जयशंकर चीन की यात्रा पर आये हैं।
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था।
पिछले साल 21 अक्टूबर को हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो टकराव स्थलों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।
कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बैठक में दोनों पक्षों के बीच विभिन्न वार्ता प्रणालियों को बहाल करने का निर्णय लिया गया था।
भाषा राजकुमार