यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा टली
संतोष संतोष माधव
- 15 Jul 2025, 09:18 PM
- Updated: 09:18 PM
तिरुवनंतपुरम, 15 जुलाई (भाषा) यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी यमनी अधिकारियों ने टाल दी है जिससे उसके परिवार समेत अन्य लोगों को राहत मिली है और अब ये लोग उम्मीद कर रहे हैं कि संयुक्त प्रयासों से उसे फांसी से पूरी तरह बचाया जा सकता है।
सरकार के सूत्रों ने फांसी के टलने की जानकारी मंगलवार को दी। भारतीय नर्स को 16 जुलाई यानी कल फांसी दी जानी थी।
सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार ने हाल के दिनों में प्रिया के परिवार को दूसरे पक्ष के साथ ‘‘पारस्परिक रूप से स्वीकार्य’’ समाधान तक पहुंचने के वास्ते अधिक समय देने के लिए ठोस प्रयास किए हैं।
प्रिया के पति टॉमी थॉमस ने सरकार और अन्य संगठनों के सामूहिक प्रयास पर संतोष व्यक्त किया है।
टॉमी थॉमस ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "फांसी टाल दी गई है। यह अच्छी खबर है। हम खुश और राहत महसूस कर रहे हैं। मुझे यकीन है कि उसकी फांसी रुकवाने और उसे सुरक्षित वापस लाने के प्रयास जारी रहेंगे।"
उन्होंने इस मुहिम में समर्थन के लिए सभी लोगों का धन्यवाद किया।
थॉमस ने बताया कि उनकी एक बेटी है जो बारहवीं कक्षा में पढ़ती है और उसे इन सब चीजों से दूर रखा गया है।
केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली प्रिया को जुलाई 2017 में यमन के एक नागरिक की हत्या का दोषी पाया गया था।
वर्ष 2020 में, यमन की अदालत ने प्रिया को मौत की सजा सुनाई और देश की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में उनकी अपील खारिज कर दी।
प्रिया (38) वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद है, जो ईरान समर्थित हूतियों के नियंत्रण में है।
सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार शुरू से ही इस मामले में हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है।
उन्होंने बताया कि मामले की संवेदनशीलता के बावजूद भारतीय अधिकारी स्थानीय जेल अधिकारियों और अभियोजक कार्यालय के साथ नियमित संपर्क में रहे, जिसके कारण सजा स्थगित कराने में सफलता मिली।
प्रिया की मां प्रेमकुमारी पिछले साल उसकी रिहाई सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत यमन गई थीं।
भारत ने प्रिया की रिहाई के लिए ‘‘दियात’’ या ‘‘ब्लड मनी’’ (एक तरह का मुआवजा) का विकल्प भी तलाशा था। लेकिन पता चला है कि इसमें भी कुछ समस्याएं हैं।
सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि वह हरसंभव कोशिश कर रही है, लेकिन यमन की स्थिति को देखते हुए ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से कहा, ‘‘एक सीमा तक ही भारत सरकार प्रयास कर सकती है और हम उस सीमा तक पहुंच चुके हैं।’’
शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा था कि सरकार अपने नागरिकों को बचाना चाहती है और इस मामले में हरसंभव प्रयास कर रही है।
प्रिया के परिवार के अलावा केरल के राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व ने भी इस घटनाक्रम पर संतोष व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने फांसी की सजा टलने को राहत और उम्मीद से भरा बताया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से प्रिया को मौत की सजा से राहत पाने के लिए और समय मिल गया है।
विजयन ने कहा कि यह प्रगति प्रख्यात सुन्नी मुस्लिम विद्वान कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार की पहल और हस्तक्षेप से संभव हुई है।
इससे पहले मौलवी के कार्यालय ने कहा था कि अबूबकर मुसलियार के कहने पर एक सूफी विद्वान के नेतृत्व में 16 जुलाई को प्रिया की निर्धारित फांसी को रोकने के लिए अंतिम समय में प्रयास किए गए थे।
कांग्रेस विधायक चांडी ओमन, जिन्होंने हस्तक्षेप के लिए केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर सहित कई प्रभावशाली हस्तियों से संपर्क किया था, ने कहा कि आर्लेकर ने मानवीय आधार पर ईमानदारी से प्रयास किए।
प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम विद्वान कंथापुरम अबूबकर मुसलियार के अनुयायियों ने कहा कि वह फाँसी रुकवाने के लिए लगातार ईमानदार प्रयास कर रहे हैं।
मुसलियार के करीबी विश्वासपात्र सैयद इब्राहिमुल खलीलुल बुखारी थंगल ने कहा कि इस बात के प्रबल संकेत हैं कि फांसी टल सकती है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम वही कर रहे हैं जो सही और मददगार है। हमें जो जानकारी मिल रही है, उससे पता चलता है कि मौत की सजा टाली जा सकती है। इस दिशा में प्रयास प्रभावी ढंग से आगे बढ़ रहे हैं और कंथापुरम उस्ताद सक्रिय रूप से इसमें शामिल हैं। हमारी आशा और प्रार्थना है कि निमिषा प्रिया घर लौटें और सभी को राहत पहुंचाएं।’’
मुसलियार ने कहा कि उन्होंने एक इंसान होने के नाते इस मामले में हस्तक्षेप किया।
इस बीच समाचार चैनलों को दिए एक वीडियो संदेश में ‘निमिषा प्रिया बचाओ इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के सदस्य सैमुअल जेरोम बास्करन, जो उनकी रिहाई के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, ने आभार व्यक्त किया।
बास्करन ने भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यपाल आर्लेकर, सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास, उसके स्थानीय कर्मचारियों और कांग्रेस नेता चांडी ओमन को उनके ईमानदार प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि प्रभावशाली शेख अब्दुल मलिक नाहयान के हस्तक्षेप से फांसी का स्थगन संभव हो पाया क्योंकि वे पीड़ित के कबीले के मुखिया हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय अधिकारी स्थानीय जेल अधिकारियों और अभियोजक कार्यालय के साथ नियमित संपर्क में रहे, जिससे सुनवाई स्थगित हो गई।
प्रिया की मां प्रेमकुमारी पिछले साल उसकी रिहाई सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत यमन गई थीं। भारतीय पक्ष ने प्रिया की रिहाई ‘दियात’ के माध्यम से सुनिश्चित करने के विकल्प पर भी विचार किया था, लेकिन पता चला है कि इसमें भी कुछ समस्याएं आईं।
भाषा संतोष संतोष