असम में वन क्षेत्र से हटाए गए लोगों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में एक की मौत, कई घायल
शोभना माधव
- 17 Jul 2025, 04:28 PM
- Updated: 04:28 PM
ग्वालपाड़ा (असम), 17 जुलाई (भाषा) असम के ग्वालपाड़ा जिले के पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में अतिक्रमण रोधी अभियान में हटाए गए लोगों और सुरक्षाकर्मियों के बीच बृहस्पतिवार को झड़प में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और पुलिसकर्मियों सहित कई अन्य घायल हो गए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है तथा शीर्ष पुलिस अधिकारी और जिला अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं, और घटनास्थल को घेर लिया गया है।
ग्वालपाड़ा जिला आयुक्त प्रदीप तिमुंग ने कहा कि वन रक्षकों और पुलिस कर्मियों पर कथित अतिक्रमणकारियों ने लाठियों से हमला किया। ये लोग पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में शनिवार को अतिक्रमण रोधी अभियान के बाद एक हिस्से की घेराबंदी करने गए थे।
जिले के कृष्णाई रेंज के पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में लगभग 135 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण रोधी अभियान से 1,080 परिवार प्रभावित हुए हैं और बेदखल किए गए लोगों में ज्यादातर बांग्ला भाषी मुसलमान हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ भविष्य में अतिक्रमण न हो यह सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग एक नहर खोदना चाहता था। कल यह काम शांतिपूर्ण ढंग से किया गया लेकिन आज सुबह जब टीम पहुंची तो इलाके के लोगों ने उन पर पत्थरों और लाठियों से हमला कर दिया।’’
उन्होंने बताया कि पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए गोलियां चलानी पड़ीं, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
तिमुंग ने बताया कि पथराव में कई पुलिसकर्मी और वनकर्मी घायल हो गए।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सुरक्षाकर्मियों पर हमले में शामिल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर कोई पुलिस पर हमला करता है तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां से अतिक्रमण हटाने का काम पहले ही पूरा हो चुका है और प्रशासन अब वन क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने के लिए पौधारोपण शुरू करेगा।
जिला आयुक्त ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अतिक्रमण रोधी अभियान कुछ दिन पहले ही शांतिपूर्ण ढंग से पूरा हो गया था तो अब प्रतिरोध क्यों हो रहा है।
तिमुंग ने कहा, ‘‘हमें कारण का विश्लेषण करना होगा। हमलावरों में बेदखल किए गए लोग और अन्य क्षेत्रों के निवासी भी शामिल हैं।’’
स्थानीय लोगों ने दावा किया कि भीड़ ने इलाके के एक सरकारी स्कूल में फर्नीचर को आग लगा दी लेकिन दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और आग पर काबू पा लिया।
घटना की खबर फैलते ही छात्र एवं युवा संगठनों के नेता और सदस्य पैकन के पास एकत्र हो गए लेकिन उन्हें घटनास्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया तथा हिंसा वाले क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूर अवरोधक लगा दिए।
अधिकृत लोगों को छोड़कर किसी को भी अवरोध के पार जाने की अनुमति नहीं है, साथ ही मीडियाकर्मियों को भी एक सीमा से आगे जाने से रोक दिया गया। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, इसलिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं।
एक स्थानीय छात्र संगठन के नेता ने दावा किया कि वन क्षेत्र से हटाए गए लोगों का एक वर्ग तिरपाल के नीचे रह रहा है, क्योंकि उनके पास कहीं जाने के लिए कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘ ये लोग रहने की वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश में हैं और उन्होंने प्रशासन से वहां से जाने के लिए कुछ और समय मांगा था लेकिन अधिकारी अब क्षेत्र तक जाने वाले उस रास्ते को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। आज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इन लोगों की स्थिति को समझना होगा।’’
भाषा शोभना