भारत रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंध की आशंका से चिंतित नहीं, वैकल्पिक स्रोतों से खरीद बढ़ाएगा
प्रेम अजय
- 17 Jul 2025, 08:00 PM
- Updated: 08:00 PM
(तस्वीर के साथ)
नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) भारत ने रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने की आशंका को ज्यादा महत्व न देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उसे अपने तेल आयात की जरूरतों को वैकल्पिक स्रोतों से पूरा करने का भरोसा है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक भारत, रूस से तेल की आपूर्ति में किसी भी तरह की बाधा से निपटने के लिए अन्य देशों से तेल खरीद सकता है।
पुरी ने रूस पर संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, ‘‘मेरे दिमाग में इसे लेकर किसी तरह का दबाव नहीं है। भारत के तेल आपूर्ति के स्रोतों में अब विविधता आ चुकी है। हम पहले 27 देशों से तेल खरीदते थे, अब यह संख्या बढ़कर लगभग 40 हो गई है।’’
वह हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) की तरफ से आयोजित वार्षिक सम्मेलन ‘ऊर्जा वार्ता’ में शिरकत के लिए आए थे।
भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आयात से पूरी करता है। परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया भारत का मुख्य तेल आपूर्तिकर्ता रहा है, लेकिन पिछले तीन वर्षों में रूस प्रमुख स्रोत के रूप में उभरकर सामने आया है।
फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय रूस ने कच्चे तेल पर भारी छूट देनी शुरू कर दी थी जिससे भारत जैसे देशों को बहुत फायदा हुआ। आज के समय में भारत के कुल कच्चा तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है।
पुरी ने कहा कि रूस के अलावा ब्राजील, कनाडा और गुयाना जैसे देशों से भी कच्चे तेल की आपूर्ति को बढ़ाया जा सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चेतावनी दी है कि यदि रूस 50 दिन के भीतर यूक्रेन के साथ शांति समझौते तक नहीं पहुंचता है तो रूस से आयात करने वाले देशों पर प्रतिबंध या उच्च शुल्क लगाए जा सकते हैं।
पुरी ने कहा कि भारत घरेलू तेल खोज और उत्पादन को भी तेजी से बढ़ा रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, ‘‘मैं बिलकुल भी चिंतित नहीं हूं। अगर कुछ होता है तो हम उससे निपट लेंगे।’’
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन ए एस साहनी ने कहा कि यदि रूस से तेल आपूर्ति बाधित होती है तो भारत यूक्रेन युद्ध से पहले लागू आपूर्ति व्यवस्था की ओर लौट सकता है। उस समय रूस से आयात दो प्रतिशत से भी कम था।
पेट्रोलियम मंत्री ने बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि फिलहाल बाजार खासकर कीमतों के मामले में, किसी भू-राजनीतिक उठापटक पर प्रतिक्रिया नहीं देता है क्योंकि तेल की अच्छी उपलब्धता है।
पुरी ने कहा, ‘‘वर्तमान में कच्चे तेल की कीमत लगभग 68.5 डॉलर प्रति बैरल है और आने वाले महीनों में भी इसके लगभग 65 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की उम्मीद है।’’
उन्होंने बताया कि पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़ाने के लिए नीति आयोग के नेतृत्व में उद्योग के हितधारकों के साथ चर्चा और परामर्श जारी है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी और ब्रिटेन की कंपनी बीपी ने कुएं के डिजाइन, उसके स्थान और भूगर्भीय समझ को लेकर साझेदारी की है।’
इस परियोजना में ओएनजीसी निवेश करेगी जबकि बीपी अपनी तकनीकी विशेषज्ञता देगी। दोनों कंपनियां मिलकर अंडमान, महानदी और सौराष्ट्र-कच्छ जैसे क्षेत्रों में काम करेंगी।
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