बिलाल लोन ने भाई सज्जाद पर साधा निशाना, पिता की विरासत हासिल करने के लिए मुख्यधारा में हुए शामिल
जोहेब सुभाष
- 19 Jul 2025, 05:40 PM
- Updated: 05:40 PM
(सुमीर कौल)
श्रीनगर, 19 जुलाई (भाषा) पूर्व अलगाववादी नेता बिलाल गनी लोन ने मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करते हुए कहा है कि उनका प्राथमिक प्रयास अपने दिवंगत पिता अब्दुल गनी लोन की “सच्ची विरासत” का सही ढंग से प्रतिनिधित्व करना है।
उन्होंने दावा किया कि उनके "परिवार के अंदर" भी पिता की विरासत का गलत तरीके से प्रतिनिधित्व किया गया है।
बिलाल लोन की इस टिप्पणी को उनके भाई व विधायक सज्जाद लोन की परोक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है, जो वर्षों से मुख्यधारा की राजनीति में हैं।
‘पीटीआई वीडियो’ को दिए एक साक्षात्कार में बिलाल लोन ने कहा कि वह और उनके भाई 2002 से "अलग-अलग राजनीतिक रास्तों" पर हैं।
बिलाल लोन ने सज्जाद को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, "कृपया अपने दम पर राजनीति करें और दिवंगत पिता की विचारधारा का गलत इस्तेमाल न करें।”
उन्होंने कहा कि अब्दुल गनी लोन "अहिंसा" और "अपने लोगों की गरिमा" के पक्षधर रहे थे और ये सिद्धांत उनकी (बिलाल) राजनीति के मूल में बने रहेंगे।
बिलाल ने कहा कि उनके पिता द्वारा स्थापित पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का "21 मई 2002 में अंत हो गया था" - जिस दिन उनके पिता शहीद हुए थे।
उन्होंने सही रास्ता अपनाने, "अपने दम पर" राजनीति करने और "शोषण की राजनीति" से दूर रहने का संकल्प लिया।
राजनीतिक संवाद के पक्षधर रहे अब्दुल गनी लोन की 21 मई 2002 को श्रीनगर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। वह मीरवाइज मौलवी फारूक की पुण्यतिथि के मौके पर श्रीनगर गए थे।
बिलाल ने कहा कि हालांकि, वह और हुर्रियत में उनके सहयोगी रहे लोग जनता के लिए "कुछ नहीं कर सके", लेकिन मीरवाइज उमर फारूक के साथ उनके रिश्ते मज़बूत बने हुए हैं।
उन्होंने मीरवाइज को एक "बहुत बड़े कद" का नेता बताया और कहा कि अगर मीरवाइज रचनात्मक राजनीति का रास्ता अपनाएं तो वह उनके साथ चलने को तैयार हैं।
बिलाल ने कहा कि राजनीतिक रास्ता बदलने का उनका फैसला युवाओं को बचाने के लिए है।
उन्होंने युवाओं को "संघर्ष का सबसे बड़ा शिकार" बताया और कहा कि "हिंसा ने हमें कुछ नहीं दिया।”
बिलाल ने यह भी कहा कि कश्मीरी मुसलमानों और कश्मीरी पंडितों के बीच सुलह जरूरी है और दोनों समुदायों के बीच विश्वास की कमी के कारण घाटी को बहुत नुकसान हुआ है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों समुदायों के लिए एक नयी शुरुआत जरूरी है।
उन्होंने कहा, "कश्मीरी मुसलमान को यह समझने की जरूरत है कि यदि कोई कश्मीरी पंडित हमारे पड़ोस में रहता है, तो उसकी सुरक्षा करना मेरा कर्तव्य है, सरकार का नहीं।"
बिलाल ने अतीत में हुई गलतियों को लेकर दोनों समुदायों के बीच स्पष्ट बातचीत की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, "अतीत में जो भी गलतियां हुई हैं... हमें उन लोगों से बात करनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि यदि कोई गलती हुई है तो माफी मांगी जानी चाहिए।
भाषा जोहेब