तृणमूल की कार्यशैली भारत की संस्कृति और लोकाचार के अनुरूप नहीं : भाजपा नेता
शफीक रंजन
- 19 Jul 2025, 07:55 PM
- Updated: 07:55 PM
कोलकाता, 19 जुलाई (भाषा) सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए पश्चिम बंगाल में धार्मिक मतभेद पैदा करने का आरोप लगाते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने शनिवार को कहा कि पार्टी लोगों की भावनाओं के साथ खेल रही है और भारत के मूल लोकाचार का उल्लंघन कर रही है, जहां ‘भारत’ और ‘राम’ अविभाज्य हैं।
भट्टाचार्य शुक्रवार को दुर्गापुर में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘जय मां दुर्गा’ और ‘जय मां काली’ का नारा लगाए जाने पर तृणमूल कांग्रेस की आलोचना का जवाब दे रहे थे। मोदी की रैली के बाद टीएमसी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी अपने पहले के नारे ‘जय श्री राम’ को दरकिनार कर रही है।
भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई वीडियो’ सेवा से कहा कि राम मोदी समेत हर भाजपा कार्यकर्ता और करोड़ों भारतीयों के दिलों में गहराई से बसे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत राम है, राम भारत है। भारत का पूरा भावनात्मक ताना-बाना रामायण से जुड़ा है। लेकिन भारत की जड़ों और संस्कृति से अलग तथा तुष्टीकरण की राजनीति में लिप्त टीएमसी हमारे राष्ट्र की बहुलतावादी प्रकृति को समझने में विफल है।’’
भारत से परे रामायण के सांस्कृतिक प्रभाव का उल्लेख करते हुए भाजपा नेता ने कहा, ‘‘इंडोनेशिया में, कई महलों पर हमारे महाकाव्य रामायण के पात्रों के नाम अंकित हैं। भारत इस बहुलवादी डीएनए को साझा करता है। फिर भी, टीएमसी मां काली और दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के जरिये राजनीतिक लाभ लेती है।’’
पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव के बाद ऐसी राजनीति जारी नहीं रहने का संकल्प लेते हुए उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल में मौजूदा कलह टीएमसी की राजनीति के तौर-तरीके के कारण है। हम एक ऐसे बंगाल की शुरुआत करेंगे जहां दुर्गा पूजा विसर्जन और मुहर्रम का शांतिपूर्ण जुलूस एक ही दिन एक ही रास्ते से निकलेगा।’’
शुभेंदु अधिकारी जैसी कट्टर छवि के विपरीत भाजपा में अपने उदारवादी रुख के लिए पहचाने जाने वाले भट्टाचार्य ने कहा कि टीएमसी हालिया हिंसा के लिए जिम्मेदार मुस्लिम समुदाय के भीतर ‘‘कट्टरपंथी तत्वों’’ को बढ़ावा दे रही है।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘क्या टीएमसी ने कभी गरीब, आर्थिक रूप से वंचित मुसलमानों की शिक्षा और उनके उत्थान की परवाह की? जरा सोचिए कि मुस्लिम समुदाय के प्रमुख नेता अपने बच्चों को मदरसों में नहीं बल्कि कुलीन शिक्षण संस्थानों में भेजते हैं, ऐसा क्यों?’’
भाषा शफीक