ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर 'दोहरे मानदंड' नहीं अपनाना महत्वपूर्ण: मिसरी
अमित नरेश
- 22 Jul 2025, 05:56 PM
- Updated: 05:56 PM
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत अपने लोगों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और व्यापक वैश्विक ऊर्जा बाजार पर ‘‘स्पष्ट दृष्टिकोण’’ रखना महत्वपूर्ण है।
मिसरी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ दिन पहले यूरोपीय संघ ने रूसी ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाते हुए नये दंडात्मक उपायों की घोषणा की थी जिसमें गुजरात में वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर ‘‘दोहरे मानदंड’’ नहीं अपनाना महत्वपूर्ण है।
मिसरी ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर आयोजित एक प्रेसवार्ता में एक सवाल के जवाब में की।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है, हम इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं। भारत के लोगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।’’
मिसरी से पूछा गया था कि क्या रूसी ऊर्जा क्षेत्र पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाये गए ताजा प्रतिबंधों के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित मुद्दे प्रधानमंत्री मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष केयर स्टार्मर के बीच वार्ता में उठेंगे।
यूक्रेन पर आक्रमण के कारण मास्को के विरुद्ध पश्चिमी देशों के बढ़ते प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से अपनी ऊर्जा खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
मिसरी ने कहा, ‘‘ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में हमें जो करना होगा, हम करेंगे। ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर, जैसा कि हमने पहले कहा है, दोहरे मापदंड नहीं अपनाना तथा व्यापक ऊर्जा बाजार के संबंध में वैश्विक स्थिति के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना महत्वपूर्ण है।’’
पिछले सप्ताह 27 देशों के यूरोपीय संघ द्वारा घोषित प्रतिबंधों के 18वें पैकेज में रूस के तेल और ऊर्जा क्षेत्र के राजस्व पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई उपाय शामिल थे। इसमें रूसी कच्चे तेल से बने और किसी तीसरे देश से आने वाले परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध शामिल है।
इन उपायों में तेल की कीमत की सीमा को 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से घटाकर लगभग 48 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल करना और वाडिनार रिफाइनरी को शामिल करना है, जिसमें रूसी ऊर्जा कंपनी रोजनेफ्ट की बड़ी हिस्सेदारी है।
यूरोपीय संघ द्वारा नये उपायों की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद, भारत ने कहा कि ‘‘दोहरे मापदंड’’ नहीं होने चाहिए, खासकर जब ऊर्जा व्यापार की बात हो।
विदेश सचिव ने कहा कि यह स्पष्ट होना आवश्यक है कि ऊर्जा उत्पादों के प्रदाता कहां स्थित हैं, वे कहां से आने वाले हैं और किसे किस समय ऊर्जा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इन मामलों को पर्याप्त रूप से नहीं समझा जाता है।’’
मिसरी ने कहा कि भारत समझता है कि यूरोप एक बड़े सुरक्षा मुद्दे का सामना कर रहा है और बाकी दुनिया भी ऐसे मुद्दों से जूझ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बात करते समय संतुलन और दृष्टिकोण बनाये रखना जरूरी है।’’
भाषा अमित