साइबर खतरे, बाजार में उतार-चढ़ाव निवेशकों के लिए चुनौतियां: सेबी अधिकारी
रमण अजय
- 22 Jul 2025, 06:25 PM
- Updated: 06:25 PM
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने मंगलवार को कहा कि पूंजी बाजारों में निवेश करने वालों की बढ़ती संख्या के साथ बाजार में उतार-चढ़ाव और वित्तीय परिवेश में विश्वास की कमी इस बढ़ते निवेशक रुझान के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश कर सकती हैं।
देश में पूंजी बाजारों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़कर वर्तमान में 13 करोड़ हो गयी है जो मार्च, 2020 में 4.2 करोड़ थी। अभी इसमें और वृद्धि की काफी गुंजाइश है।
नारायण ने घरेलू निवेशकों की संख्या में वृद्धि को स्वीकार करते हुए इस गति को बनाए रखने के लिए चुनौतियों के समाधान की जरूरत बतायी।
उन्होंने कहा कि साइबर और डिजिटल धोखाधड़ी जैसे जोखिम गंभीर चिंता का विषय हैं। गड़बड़ी करने वाले अक्सर परिष्कृत और संगठित होते हैं और भोले-भाले निवेशकों को अपना शिकार बनाते हैं। इससे साइबर सुरक्षा ऐसा क्षेत्र बन जाता है, जिस पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य ने कहा कि इसके साथ ही, निवेशकों को बाजार की अस्थिरता के बारे में पूरी तरह से जागरूक रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव तय है और निवेशक अपने पोर्टफोलियो को व्यक्तिगत जोखिम क्षमता के अनुरूप बनाएं।
नारायण ने कहा, ‘‘हमें अस्थिरता और जोखिम के अर्थ को बेहतर ढंग से समझना और आत्मसात करना होगा। यह ठीक उसी तरह होना चाहिए जैसे हमने प्रतिफल को बेहतर ढंग से समझना है।’’
उन्होंने वित्तीय नियोजन पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्तीय परिवेश में निवेशकों का भरोसा बनाए रखने की जरूरत बतायी। संचालन के स्तर पर विफलता या बाजार में गड़बड़ी की किसी भी घटना से भरोसे को चुनौती मिल सकती है।
नारायण ने कहा कि इस संबंध में बाजार को मजबूत बनाए रखने में सेबी और अन्य पक्षों के साथ-साथ शेयर बाजारों और डिपॉजिटरी जैसे नियामकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने निवेश रणनीति के तहत निवेश परिसंपत्ति में विविधीकरण की आवश्यकता बतायी।
नारायण ने कहा कि कुछ छोटे निवेशकों में शेयरों में अधिक निवेश करने की प्रवृत्ति दिख रही है। इसके समाधान के लिए, सेबी बॉन्ड और जिंस बाजारों को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहा है ताकि और अच्छे विकल्प उपलब्ध कराए जा सकें।
भाषा रमण